अमेरिका और चीन के संबंधों में बढ़ी तल्खी घटने का नाम ही नहीं ले रही है। बुधवार को अमेरिका ने पूर्व में हांगकांग के साथ किये गए तीन द्विपक्षीय समझौतों को खत्म कर दिया। इन समझौतों में भगोड़े अपराधियों का आत्मसमर्पण , सज़ायाफ्ता व्यक्तियों को छोड़ना और जहाज़ों के अंतरराष्ट्रीय संचालन से प्राप्त आय पर कर में छूट देना शामिल था।

हांगकांग में चीन के द्वारा नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के लागू करने के बाद से ही अमेरिका काफी नाराज़ है। इसी कड़ी में कुछ ही दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हांगकांग को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था ।

द्विपक्षीय समझौतों के खत्म होने पर अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने कहा है कि हमने पूर्व में किये गए तीन द्विपक्षीय समझौतों के निलंबन या समाप्त करने के फैसले के बारे में 19 अगस्त को हांगकांग के अधिकारियों को सूचित कर दिया है। साथ ही प्रवक्ता ने यह भी कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार हांगकांग के स्वायत्तता को ख़त्म कर रही है।

कम्युनिस्ट पार्टी नीत सरकार ब्रिटेन और चीन के बीच किये समझौतों को भी तोड़ रही है जिसमें हांगकांग के लोगों को 50 साल के लिए स्वायत्तता देने की बात कही गयी थी । मॉर्गन ने राष्ट्रपति ट्रंप के हवाले से कहा कि अमेरिका अब हांगकांग को एक देश – एक तंत्र के रूप में देखता है और उन सब लोगों पर कारवाई करेगा जिन्होंने हांगकांग की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया है ।

दरअसल 1997 से पहले हांगकांग ब्रिटिश सरकार का उपनिवेश था । जिसे 1 जुलाई 1997 को ब्रिटेन ने एक देश दो तंत्र समझौते के हिसाब से चीन को सौंप दिया था। इस समझौते से हिसाब से हांगकांग में कुछ खास तरह की आजादी दी गयी थी। जिसमें हांगकांग में लोगों को एक साथ आने की और अभिव्यक्ति की आज़ादी शामिल थी।

साथ ही हांगकांग को कुछ गणतांत्रिक अधिकार दिए गए थे जो कि चीन के अन्य शहरों के लोगों को नहीं हैं । लेकिन जुलाई में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के लागू होने से हांगकांग की स्वायत्तता लगभग छीन ही गयी है।

इस क़ानून में यह प्रावधान है कि जो लोग विदेशों ताक़तों की मदद से हांगकांग में अलगाव, तोड़ फोड़ या आतंकवाद जैसी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे उन पर आपराधिक धाराएं लगायी जाएँगी और उन्हें दण्डित किया जाएगा । इस कानून को अमेरिका , ब्रिटेन जैसे कई देश हांगकांग की पहचान के लिए एक बड़ा ख़तरा मान रहे हैं । उन्हें यह डर है कि यह क़ानून हांगकांग की न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर कर रहा है ।