तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोगान पहली बार भारत दौरे पर हैं। राष्ट्रपति भवन में उनके परंपरागत स्वागत के बाद दोनों नेता दिल्ली में एक व्यापार कार्यक्रम में शरीक हुए। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के सामने भारत को निवेश के एक शानदार स्थान के तौर पर पेश किया। पीएम ने कहा, ”भारत और तुर्की, विश्व के वर्तमान आर्थिक परिस्थिति को एक ही नजरिए से देखते हैं। भारत और तुर्की विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। दोनों ने कमाल की स्थिरता दिखाई है। हमें इस प्रचुर विरासत, अपार संभावनाओं और अवसरों पर, तुर्की के साथ, द्विपक्षीय संपर्क बढ़ाने की जरूरत है।” प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा पिछले तीन साल में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में व्यापार के लिए अच्छा माहौल बन रहा है। उन्होंने कहा, ”मेरी सरकार तीन साल पहले, इसी महीने सत्ता में आई थी, तब से हमने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। हालिया जीएसटी बिल ऐसा ही एक कदम है, देश में लंबे समय से एक-समान और प्रभावी व्यापारिक माहौल की आवश्यकता थी।”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ”हम रेलवे को आधुनिक बना रहे हैं तथा राजमार्गों को बेहतर कर रहे हैं। हमने इन दो क्षेत्रों के लिए सबसे ज्यादा आवंटन किया है। भारत और तुर्की, दोनों ही ऊर्जा के क्षेत्र में कमतर हैं और हमारी ऊर्जा जरूरतें तेजी से बढ़ रहे हैं। यह क्षेत्र द्विपक्षीय रिश्तों का अहम स्तंभ है। भारत इतना आशापूर्ण कभी नहीं था, जितना आज है।”
एर्दोगान भारत के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को नई दिल्ली पहुंचे थे। एर्दोगान तुर्की में 16 अप्रैल को हुए जनमत संग्रह में जीत हासिल करने के बाद भारत दौरे पर आए हैं। मोदी और एर्दोगान के बीच वार्ता में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख होगा। एर्दोगान इससे पहले 2008 में भारत दौरे पर आए थे, जब वह प्रधानमंत्री थे।