अमेरिका ने शरणार्थियों की संख्या में कटौती करने की घोषणा की है। देश अगले साल 45,000 लोगों को ही शरण देने देगा, जो वर्ष 2016 की तुलना में आधी है। वहीं मानवीय समूहों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे क्रूर करार दिया है। अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने कल संवाददाता सम्मेलन में बताया विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन इस मामले पर कांग्रेस को जानकारी देंगे। राष्ट्रपति का आदेश आने वाले दिनों में जारी हो सकता है। सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘‘अमेरिकी लोगों की रक्षा और सुरक्षा हमारी प्रमुख चिंता है।’’ वर्ष 1975 से अमेरिका ने दुनियाभर के 30 लाख से ज्यादा शरणार्थियों को शरण दी है। उन्होंने कहा कि मानवीय सरंक्षण में अमेरिकी नेतृत्व को बरकरार रखते हुए, इस मिशन का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि शरणार्थी पुनर्वास का अवसर उन्हें ही मिले जो ऐसे संरक्षण के लिए काबिल हों न कि उन्हें जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
अधिकारी ने कहा कि अमेरिका मानवीय सहायता में दान करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बना हुआ है और इसने पिछले साल समूचे विश्व में मानवीय सहायता के लिए सात अरब डॉलर से ज्यादा दिए थे। शरण देने को सीमित करने वाले फैसले पर सांसदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। सीनेटर डियान फेनस्टीन ने कहा कि शरण देने की संख्या को 45000 तक सीमित करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और दुनिया भर में मानवीय संकट के जरूरतों को नहीं दर्शाता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हाई कमीशन फॉर रिफ्यूज के मुताबिक, दुनियाभर में 2.25 करोड़ शरणार्थी हैं और 6.56 करोड़ जबरन विस्थापित किए गए लोग हैं। सीनेटर टॉम कारपेर ने कहा कि यह कदम अमानवीय हैं।