चीनी मीडिया ने गुरुवार (13 अक्टूबर) को कहा कि तिब्बत बृहद व्यापार और निवेश के मामले में नेपाल और बांग्लादेश के लिए प्रवेशमार्ग है और वहां का बढ़िया बुनियादी ढांचा चीन को भारत पर प्रमुखता प्रदान करता है। सरकारी ग्लोबल टाइम्स में गुरुवार को प्रकाशित एक आलेख में कहा गया है, ‘नेपाल में रेलवे निर्माण के लिए चीन और भारत के बीच प्रतिस्पर्धा नेपाल और बांग्लादेश के भावी विकास को प्रभावित करेगा। यह तिब्बत में भी ज्यादा बदलाव लाएगा।’
इसमें कहा गया है, ‘अगले दशक में, अगर भारत अपने उच्च विकास के मार्ग पर चलना जारी रखा और बुनियादी ढांचा तथा विनिर्माण का विकास तेज किया तो यह चीन पर बहु-आयामी दबाव डालेगा जिसका बोझ तिब्बत बरदाश्त करेगा।’ इसमें कहा गया है, ‘बुनियादी ढांचा विकास के संदर्भ में तिब्बत ने भारत पर प्रमुखता हासिल कर ली है और उसने पड़ोसी प्रांतों एवं शहरों के साथ मजबूत आर्थिक सहयोग के रिश्ते स्थापित किए हैं।’
टाइम्स ने कहा कि इसके लिए नीतिगत समर्थन की जरूरत है कि कैसे तिब्बत भारत पर अपनी प्रमुखता का फायदा चुनौतियों से निबटने और क्षेत्र में प्रभाव स्थापित करने में करे और साथ ही अपनी स्थिरता बरकरार रखे। उसने कहा, ‘इसके लिए सभी पश्चिमी प्रांतों, शहरों और स्वायत्तशासी क्षेत्रों के बीच समन्वय की जरूरत है।’ भारत और नेपाल अपेक्षाकृत बेहतर सड़क से जुड़े हैं। लंबे अर्से तक भारत नेपाल के कुल कारोबार का 60 से 70 प्रतिशत हिस्से पर काबिज रहा जबकि चीन की झोली में महज 10 प्रतिशत था।
अपनी भारत यात्रा के दौरान नेपाल के नए प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा था कि दोनों देश मेची और महाकाली के बीच रेल निर्माण में भारत की मदद की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। इसने कहा, ‘अगर यह हुआ तो ना सिर्फ भारत को, बल्कि तिब्बत और बांग्लादेश को जोड़ने वाला नेटवर्क बनेगा।’ लेख में कहा गया है कि तिब्बत चीन की ‘एक बेल्ट एक सड़क’ (रेशम मार्ग) की पहल का एक अहम हिस्से के रूप में उभर रहा है।