तीन नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं ने म्यांमार की नेता आंग सान सू की और देश की सेना पर हिंसा में उनकी कथित भूमिका को लेकर नरसंहार का आरोप लगाया है। इस हिंसा की वजह से हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ा। काफी विशाल क्षेत्र में फैले शरणार्थियों के शिविरों का दौरा करने के लिए बांग्लादेश की यात्रा पर आईं इन तीनों हस्तियों ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी साथी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सू की अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं।
उनमें से एक यमन की तवाक्कोल करमान ने सू की से कहा कि या तो वे संभल जाएं अन्यथा मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार रहें । उनकी दो साथियों- उत्तरी आयरलैंड के मैरीड मैगुईर और ईरान की शीरीन एबादी ने इस स्थिति के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघर में खड़ा करने के लिए काम करने का वादा किया। पिछले साल अगस्त से करीब 700,000 रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश चले गए हैं। सुरक्षा बलों की एक चौकी पर उग्रवादियों के हमले के बाद म्यांमार की सेना ने अगस्त में सैन्य कार्रवाई शुरू की थी।
दूसरी तरफ, लाउडस्पीकर पर म्यांमार के सैनिकों द्वारा धमकी दिए जाने के बाद निर्जन क्षेत्र में रह रहे सैकड़ों रोहिंग्या अपने-अपने शिविर छोड़कर बांग्लादेश सीमा के अंदर चले गए। यह बात बुधवार को समुदाय के नेताओं ने कही। इन दोनों देशों के बीच इस निर्जन क्षेत्र में करीब 6,000 रोहिंग्या रह रहे हैं जो अगस्त में सैन्य कार्रवाई होने पर म्यांमार छोड़कर यहां आ गए थे।
ये लोग पिछले साल म्यांमार में हिंसा भड़कने के बाद वहां से शुरू में भागने वालों में शामिल थे। उन्होंने इस निर्जन क्षेत्र में अपने शिविर बना लिए थे। उसके कुछ हफ्ते बाद बांग्लादेश उन्हें अपने यहां आने देने पर राजी हो गया। हाल के हफ्तों में उन पर म्यांमार के सैनिकों का दबाव पड़ा। इन सैनिकों ने उनके शिविर से चंद मीटर दूर लगी तार की बाड़ पर गश्त बढ़ा दी और लाउडस्पीकर पर रोहिंग्याओं को वहां से चले जाने का आदेश दिया। समुदाय के नेता दिल मोहम्मद ने कहा कि आदेश से शिविर में दहशत फैल गई।