अमेरिका और रूस ने घोषणा की है कि सीरिया में शनिवार से ऐतिहासिक संघर्षविराम लागू होगा। लेकिन इस ‘संघर्षविराम’ में मुख्य जिहादी संगठन इस्लामिक स्टेट और अल नुसरा फ्रंट शामिल नहीं हैं। पांच वर्ष से चल रहे इस संघर्ष के मुख्य विपक्षी समूह ने इस घोषणा को सशर्त मंजूरी दे दी है। लेकिन इजराइल ने कहा है कि उसे इस समझौते का पालन किए जाने को लेकर संदेह है और विश्लेषकों ने सचेत किया कि संघर्ष में किसी भी प्रकार का विराम रूस, ईरान और राष्ट्रपति बशर अल असद पर निर्भर करेगा।

यह घोषणा ऐसे समय की गई है, जब एक दिन पहले दमिश्क के निकट हुए विस्फोटों की एक शृंखला में 134 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में अधिकतर आम नागरिक हैं। वाशिंगटन और मॉस्को ने एक संयुक्त बयान में कहा कि दमिश्क के समयानुसार मध्य रात्रि से आंशिक संघर्षविराम शुरू होगा, इससे उस संघर्ष पर विराम लग जाएगा, जिसमें 2,60,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और आधी से अधिक आबादी विस्थापित हो गई है।
उच्च वार्ता समिति (एचएनसी) ने कहा, ‘एचएनसी के महासंयोजक रियाद हिजाब ने सभी धड़ों के विपक्षी लोगों के साथ चर्चा के नतीजे पेश किए। इसके बाद हम संघर्षविराम समझौते तक पहुंचने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए राजी हो गए।’ लेकिन ‘संघर्षविराम के प्र्रति प्रतिबद्धता सशर्त है’। इन शर्तों में घेराबंदी हटाना, कैदियों को छोड़ना, नागरिकों पर बमबारी रोकना और मानवीय मदद देना शामिल है।
बयान में कहा गया कि संघर्षविराम की घोषणा सभी पक्षों की ओर से साथ-साथ की जानी चाहिए। हिजाब के हवाले से कहा गया कि उन्हें इस बात को लेकर ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं कि शासन और उसके सहयोगी ‘अपने शत्रुतापूर्ण कृत्यों को रोकने में समर्थ होंगे।’ इससे पहले एक संयुक्त बयान में अमेरिका और रूस ने कहा था कि सीरिया में जो पक्ष युद्धस्थिति खत्म करना चाहते हैं, उन्हें दमिश्क के समयानुसार दोपहर से इसे शुरू करना चाहिए।
ब्रितानी विदेश मंत्री फिलीप हेमंड का कहना है कि अमेरिका और रूस द्वारा घोषित सीरियाई संघर्षविराम तभी काम करेगा, जब सीरियाई शासन और रूस की ओर से ‘व्यवहार में बड़ा बदलाव’ लाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह तभी सफल होगा, जब सीरियाई शासन और इसके समर्थकों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आएगा।’ विशेष तौर पर रूस को सीरियाई नागरिकों और नरमपंथी विपक्षी समूहों पर अपने हमले बंद करके इस समझौते का सम्मान करना चाहिए।
अमेरिका और रूस ने सोमवार को ‘शत्रुताओं के खात्मे’ की घोषणा की थी और संकेत दिया था कि यह समझौता शनिवार 27 फरवरी को लागू होगा। इस्लामिक स्टेट, नुसरा फ्रंट और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से आतंकी संगठन करार दिए गए अन्य समूह इस समझौते से बाहर हैं। हेमंड ने इस समझौते का स्वागत किया। लेकिन साथ ही कहा कि रूस को ‘स्पष्ट तौर पर आइएस को और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से आतंकी करार दिए गए लोगों को निशाना बनाकर’ अपना समर्पण दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समझौता ‘सीरिया में हिंसा के भयावह स्तर को घटाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।’