Bashar al-Assad Government Collapse: सीरिया में आखिरकार विद्रोहियों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को मुल्क छोड़कर भागने को मजबूर कर दिया। पिछले कई सालों से चल रहे इस भीषण युद्ध में असद की सत्ता के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क सहित कई बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति असद हालात के बिगड़ने पर किसी अज्ञात जगह पर चले गए हैं।

सीरिया में चल रहे इस गृह युद्ध में लड़ाई किस-किस के बीच हो रही है, असद सरकार के खिलाफ लड़ने वाले विद्रोही कौन हैं। उन्हें कौन मदद दे रहा है, ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब आपको इस खबर में मिलेंगे।

सरकार विरोधी प्रदर्शनों से शुरू हुई लड़ाई

मार्च 2011 में, सीरिया के दक्षिणी शहर दारा में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए थे। तब से यह लड़ाई चल रही है। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कई सुधार करने की मांग की थी और राष्ट्रपति बशर अल-असद से इस्तीफा देने को कहा था। लेकिन असद की सरकार ने इन प्रदर्शनों को ताकत के दम पर कुचलने की कोशिश की जिससे असंतोष और बढ़ गया और सरकार विरोधी प्रदर्शन सशस्त्र विद्रोह में बदल गया।

मतलब साफ है कि विद्रोही गुटों ने बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ हथियार उठा लिए। इस बीच, ISIS ने 2014 में सीरिया और इराक के कई बड़े हिस्सों पर कब्जा कर लिया था जिससे यह युद्ध और जटिल हो गया था।

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सीरिया में बशर अल-असद के शासन का अंत। (इमेज-एपी)

आसान भाषा में समझें तो सीरिया में चल रहा यह गृह युद्ध 13 साल पहले शुरू हुआ था। यह सीरिया में असद के विरोधियों और चरमपंथी संगठनों के बीच की लड़ाई थी लेकिन बाद में अमेरिका, ईरान और रूस जैसी अंतरराष्ट्रीय ताकतें भी इस युद्ध में शामिल हो गईं और यह खूनी संघर्ष बन गया। इस संघर्ष में अब तक 5 लाख से ज्यादा सीरियाई नागरिक मारे गए हैं और लाखों लोग अपने घरों से भाग गए हैं।

हयात तहरीर अल-शाम (HTS)

असद की सरकार के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन करने वाले विपक्षियों में तीन संगठन सबसे महत्वपूर्ण हैं। पहला है हयात तहरीर अल-शाम (HTS)। HTS की कमान अबू मोहम्मद अल-जोलानी के हाथ में है। जोलानी का साफ तौर पर कहना है कि उनका मकसद असद की सरकार को उखाड़ फेंकना है। जानते हैं कि HTS कैसे बना?

सीरिया के जिहादी लड़ाकों ने असद सरकार से लड़ने के लिए जबात अल-नुसरा फ्रंट का गठन किया था। यह संगठन अल-कायदा और ISIS से जुड़ा था। लेकिन 2016 में यह अलग हो गया और जबात फतेह अल-शाम (JFS) बन गया। JFS 2017 में कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर HTS में बदल गया। लेकिन HTS के कामकाज का केंद्र अल-कायदा के वैश्विक जिहाद वाले मकसद से अलग था। इसका एक उदाहरण यह है कि 2018 में अमेरिका ने इस संगठन को तो आतंकी संगठन घोषित कर दिया लेकिन इसके नेता अल-जोलानी को टारगेट करना बंद कर दिया।

सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF)

दूसरा समूह है कुर्दिश मिलिशिया, जिसे सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) कहा जाता है। यह सीरिया में Syrian Arab Army (SAA) के बाद सबसे ताकतवर समूह है। SDF कुर्द गठबंधन की मिलिट्री शाखा है। 2012 में इसने SAA से अलग होने के बाद सीरिया के उत्तरपूर्वी हिस्सों (दीर एज़-ज़ोर, रक्का, अलेप्पो) में अपना शासन चलाया है। इसके सीरियाई सेना के साथ रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं और कई बार इनके बीच लड़ाई भी हो चुकी है। लेकिन इसका मुख्य दुश्मन ISIS और उससे जुड़े जिहादी संगठन रहे हैं।

सीरिया में चल रहे इस गृह युद्ध में SDF को सीरियाई सेना से लड़ने के साथ-साथ तुर्की की ओर से समर्थित मिलिशिया और HTS से भी खतरा है। SDF को एक वक्त में अमेरिका की ओर से भी मदद मिल चुकी है।

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सीरिया में हालात बेकाबू

सीरियन नेशनल आर्मी (SNA)

तीसरा समूह है सीरियन नेशनल आर्मी (SNA)। यह सीरियन आर्मी से निकला हुआ संगठन है, जिसे 2011 में सीरियाई सैनिकों के विद्रोह के बाद बनाया गया था। इसे तुर्की का समर्थन हासिल है। यह संगठन सीरिया के साथ-साथ कुर्द SDF का भी विरोधी है। HTS और SNA मिलकर सीरियाई सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

सीरिया में चल रहे इस गृहयुद्ध में इन विद्रोही गुटों को बाहर से समर्थन मिलता रहा है। इन्हें बाहर से समर्थन कौन दे रहा है।

तुर्की

ऐसे देशों की बात करें तो इनमें पहला नाम तुर्की का है। तुर्की सीरिया में पिछले कई वर्षों से विद्रोही गुटों को समर्थन देता रहा है। तुर्की द्वारा सीरिया में गृहयुद्ध को फिर से शुरू करने में विद्रोही गुटों की मदद करने के पीछे यह भी वजह है कि अमेरिका उसके साथ है।

असद का मजबूत सहयोगी है रूस

गृह युद्ध के दौरान असद सरकार को सबसे बड़ा समर्थन रूस से मिला है। रूस ने लगातार अपने लड़ाकू विमानों को सीरिया की सेना का समर्थन करने के लिए भेजा है और विद्रोहियों के अड्डों को जेट विमानों से निशाना बनाया है। लेकिन रूस खुद पिछले 3 साल से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है और इस वजह से उसके पास असद की सेना का समर्थन करने के लिए बहुत ज्यादा ताकत नहीं बची है।

ईरान और हिज्बुल्लाह

ईरान और हिज्बुल्लाह भी हमेशा से असद सरकार और सीरिया की सेना के साथ खड़े रहे हैं लेकिन लेबनान में इजरायल के लगातार हवाई और जमीनी हमले के बाद हिज्बुल्लाह भी काफी कमजोर हो गया है। हिज्बुल्लाह के कई बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं इसलिए वह भी असद की सरकार और सेना को बहुत ज्यादा मदद नहीं दे पाया है। ईरान इराक और सीरिया में हिजबुल्लाह को हथियारों की तस्करी करता है। ईरान और हिजबुल्लाह ने गृह युद्ध के दौरान असद की तरफ से लड़ने के लिए हजारों लड़ाकों को भेजा है।

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ISIS के खिलाफ लड़ा है अमेरिका

इस गृह युद्ध में अमेरिका की भूमिका कई बार बदल चुकी है। ओबामा की सरकार के दौरान शुरू में विद्रोही गुटों को अमेरिका से समर्थन मिला और इस दौरान उन्हें हथियार और ट्रेनिंग भी दी गई। 2014 में ISIS के गठन के बाद अमेरिकी सेना ने हवाई हमलों और कुर्द बलों की मदद से ISIS के खिलाफ लड़ाई लड़ी और ISIS को कमजोर किया। ट्रंप ने 2019 में राष्ट्रपति रहते हुए कई सुरक्षा बलों को वापस बुला लिया लेकिन अमेरिका अभी भी सीरिया के इस गृह युद्ध में सक्रिय है लेकिन अब उसकी मौजूदगी बहुत कम है।

ईरान के ठिकानों पर इजरायल ने किए हैं हमले

सीरिया में इजरायल का एक्शन मुख्य रूप से हिजबुल्लाह और ईरान के ठिकाने रहे हैं। इजरायल ने इनके ठिकानों पर लगातार हवाई हमले किए हैं।

भारत लंबे समय से सीरिया में असद की सरकार के साथ खड़ा है और इस मुल्क में रूस की सैन्य भागीदारी का समर्थन करता रहा है।

इस गृह युद्ध की वजह से सीरिया की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई। देश लगभग तबाह हो गया और यहां गरीबी चरम पर पहुंच गई। इस लड़ाई में लाखों लोग मारे गए, लाखों लोग बेघर हो गए। अब जब विद्रोहियों ने असद की सरकार को उखाड़ फेंक दिया है तो ऐसे में बड़ा सवाल सीरिया के भविष्य को लेकर है। सीरिया का भविष्य आगे क्या होगा? 13 साल से चल रहे इस गृह युद्ध के बाद क्या सीरिया में शांति स्थापित हो पाएगी? सीरिया के लोग इन सवालों के जवाब चाहते हैं।