ईरान में चाहबार बंदरगाह के निर्माण को लेकर भारत को साफ कह दिया है कि देरी होने पर वह इससे हाथ धो बैठेगा। गौरतलब है कि ईरान के चाहबार बंदरगाह का निर्माण भारत कर रहा है। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह भारतीय विदेश मंत्रालय को जानकारी दी थी कि,’ईरान के इकॉनॉमिक प्रोजेक्टस को जल्द से जल्द से पूरा करने की जरूरत है। ईरान सरकार ने बिना देरी के इन प्रोजेक्टस को पूरा करने के लिए आर्थिक मदद जल्द से जल्द देने पर जोर दिया है।’
विदेश मंत्रालय ने विदेश सचिव की अध्यक्षता में अंतर मंत्रालयी बैठक बुलाई है। साथ ही मंत्रालयों से उधार सीमा बढ़ाने पर विचार करने और पुराने पेमेंट को कच्चे तेल की कीमतों के अनुसार परिवर्तित करने को कहा गया है। विदेश मंत्रालय के नोट के अनुसार,’ ईरान से प्रतिबंध हटने के चलते भारत के ईरान से तेल आयात के पेमेंट के पुराने तरीके में बदलाव की जरूरत होगी।’ पुराने समझौते के अनुसार भारत तेल का 45 फीसदी भुगतान रुपये में करता था। अब इसे डॉलर करने का बदलाव करना होगा।
अमेरिका के प्रतिबंध हटने के बाद ईरान के राजदूत गुलामरेजा अंसारी ने कहा कि, ईरान को लेकर भारत बेवजह की सतर्कता बरत रहा है। बदले हुए हालातों में भारत इंतजार करो की नीति पर नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि,’ भारत की प्राइवेट कंपनियां चाहबार प्रोजेक्ट में जाना चाहती है लेकिन सरकार उस तरह का उत्साह नहीं दिखा रही है।’
पिछले साल अगस्त से ईरान स्टील और रेलवे प्रोजेक्ट के लिए 345 मिलियन डॉलर जबकि 150 मिलियन डॉलर चाहबार पोर्ट की सामान खरीद के लिए मांग रहा है। हालांकि भारत के एग्जिम बैंक के मना करने के चलते लोन में देरी हो गई। चाहबार पोर्ट के समझौते पर भारत पहले ही देरी कर चुका है। इस कांट्रेक्ट के पूरा होने के लिए पांच नवंबर तक की डेडलाइन रखी गई थी।