South Korean President Yoon Arrested: साउथ कोरिया में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल को गिरफ्तार कर लिया है। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने 3 दिसंबर को मार्शल लॉ के एलान से जुड़े मामलों में कार्रवाई की है। भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के मुख्यालय में ले जाए जाने से पहले रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो मैसेज में यून ने दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि इस देश में कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले सुबह-सुबह 3,000 से ज्यादा पुलिस अधिकारी और भ्रष्टाचार विरोधी जांचकर्ता येओल के आवास के पास जमा हुए। इस दौरान येओल के समर्थक और सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के सदस्य सुरक्षाबलों से भिड़ते देखे गए। दोनों के बीच जमकर भिड़ंत हुई। कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया। हालांकि, इस हाईवोल्टेज ड्रामा के बीच दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने यून सुक येओल को अरेस्ट कर लिया।

राष्ट्रपति के खिलाफ जमकर नारेबाजी

बुधवार को विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए। यहां पर उन्होंने जमकर नारेबाजी की। कुछ प्रदर्शनकारियों को इस्तीफा दो, तुम्हारा समय पूरा हो गया है और जिम्मेदारी लो के नारे लगाते हुए सुना जा सकता था। सीआईओ के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में एक अदालत ने राष्ट्रपति को हिरासत में लेने के लिए वारंट को मंजूरी दे दी थी। राष्ट्रपति ने तीन समन का जवाब भी नहीं दिया था। वारंट के तहत जांचकर्ता यून को 48 घंटे तक हिरासत में रख सकते हैं।

 सुरक्षा एजेंसियों और समर्थकों ने राष्ट्रपति आवास के बाहर बनाया घेरा

मार्शल लॉ की घोषणा

यून ने 3 दिसंबर को देर रात को एक संबोधन में मार्शल लॉ की घोषणा की। इसमें दावा किया गया कि विपक्षी सांसदों ने राज्य के मामलों को पंगु बना दिया है और यह दक्षिण कोरिया की रक्षा के लिए जरूरी था। यून की पार्टी के कुछ सदस्यों समेत नेशनल असेंबली के सदस्यों ने छह घंटे बाद घोषणा को पलटने के लिए मतदान किया। यून के आदेश को जनता और राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सांसदों की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। यून के मार्शल लॉ की घोषणा के बाद से ही देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। संसद ने यून के खिलाफ महाभियोग के लिए मतदान करने के कुछ ही हफ्ते बाद अपने प्रधानमंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ भी महाभियोग के लिए मतदान किया है। वित्त मंत्री चोई सांग-मोक अब कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं।

यून देश की सर्वोच्च अदालतों में से एक द्वारा चल रही जांच और महाभियोग सुनवाई के बावजूद विद्रोही बने हुए हैं। पिछले महीने संसद द्वारा इस आदेश के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए मतदान करने के बाद राजनेता बने व्यक्ति से राष्ट्रपति पद की शक्तियां छीन ली गईं। अब देश के संवैधानिक न्यायालय को यह तय करना है कि उन्हें औपचारिक रूप से हटाया जाएगा या बहाल किया जाएगा। विमान हादसे पर भारत की ओर से सामने आई प्रतिक्रिया पढ़ें पूरी खबर…