दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्वेन हे पर देश की संसद में महाभियोग वोट के बाद अब मामला नौ जजों वाली संवैधानिक अदालत में चला गया है। अदालत उन लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है जो राष्ट्रपति को पद से हटाने के पक्ष में हैं। शुक्रवार (9 दिसंबर) को सांसदों के वोट के कारण राष्ट्रपति की व्यापक कार्यकारी शक्तियां समाप्त हो गई लेकिन अदालत में दो-तिहाई बहुमत मिलने के बाद ही फैसले को अंतिम मंजूरी मिलेगी। अदालत की यह प्रक्रिया काफी लंबी और अनिश्चित है जिसमें छह महीने तक का समय लग सकता है। अदालत पार्क का समर्थन कर सकती है क्योंकि इसके नौ जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति और उनके पूर्ववर्ती कंजर्वेटिव ली म्युंग बाक द्वारा की गई है। हालांकि जनता पार्क को पद से और राष्ट्रपति कार्यालय ब्लू हाउस से हटाना चाहती है। हाल ही में हुए जनमत सर्वेक्षणों में 80 फीसदी लोगों ने महाभियोग का समर्थन किया है। इसलिए न्यायाधीश पर संसद के निर्णय को मानने का बहुत अधिक दबाव है।
पार्क का पतन एक घोटाले में उनके करीबी दोस्त चोई सून-सिल के शामिल होने के बाद शुरू हो गया था। पार्क पर गोपनीय सरकारी दस्तावेज लीक करके चोई को देने का भी आरोप है। महाभियोग के 40 पन्ने वाले विधेयक में राष्ट्रपति पर कई संवैधानिक और अपराधिक उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है। कई आरोप अभियोजन पक्ष की शुरुआती जांच पर आधारित है। शुक्रवार के वोट पर प्रतिक्रिया देते हुए अदालत ने कहा कि वह आशा करती है कि पार्क का कानूनी दल एक सप्ताह के भीतर महाभियोग पर अपनी लिखित प्रतिक्रिया दे देगा। अदालत के प्रवक्ता बे बो-यून ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम इस समझौते पर पहुंचे हैं कि महाभियोग बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है, जिसमें शीघ्र प्रगति की जरूरत है।