सिंगापुर में भारतीय मूल के तीन वैज्ञानिकों पर अनुसंधान डेटा में फर्जीवाड़ा करके एक वैज्ञानिक धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है। घोटाले में जिन तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें भारतीय मूल के प्रोफेसर रवि काम्बादुर हैं जो ननयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) से संबद्ध थे। इनमें नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के योंग लू लिन स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर मृदुला शर्मा और एनटीयू के पूर्व शोधकर्ता सुदर्शन रेड्डी लोकिरेड्डी का नाम भी शामिल हैं। सिंगापुर शोध संस्थानों में उनका काम मयोस्टैटिन पर केंद्रित था। मयोस्टैटिन एक ऐसा प्रोटीन है जो मनुष्यों और पशुओं में मांसपेशियों की वृद्धि को नियमित करता है।
शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इसे बाधित करने से लोगों में ‘वसा कम होने’ की प्रक्रिया चालू रहती है और इससे वजन कम करने में मदद मिलती है। एनटीयू के हवाले से ‘द स्ट्रेटस टाइम्स’ ने बताया कि प्रोफेसर काम्बादुर की अगुआई में शोध हो रहा था। एनटीयू के स्कूल ऑफ बॉयोलाजिकल साइंसेज और सिंगापुर इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल साइसेंज में उनकी संयुक्त नियुुक्तियों को ‘रद्द’ कर दिया गया है। डॉ. शर्मा अब एनयूएस में नहीं हैं और डॉ. लोकिरेड्डी ने एनटीयू से जो पीएचडी की थी, वह निरस्त कर दी गई है।