युद्ध काल के शत्रुओं अमेरिका एवं जापान के नेताओं ने पर्ल हार्बर की एक साथ यात्रा करके सुलह की शक्ति के बारे में प्रतीकात्मक घोषणा जारी की और संघर्ष का ढोल नहीं पीटने की अपील की। जापानी लड़ाकू विमान चालकों की ओर से शांत हवाई को युद्ध की आग में झोंकने और अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में खींचने के 75 साल बाद जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ‘सच्चे दिल से संवेदनाएं प्रकट’ कीं। दोनों नेताओं ने सात दिसंबर 1941 को मारे गए 2,400 से अधिक अमेरिकियों को श्रद्धांजलि दी और पुष्पांजलि अर्पित की और मौन धारण किया। आबे की यात्रा एक ऐसा नेता की ओर से पछतावे का हाई प्रोफाइल प्रतीक है जो जापान के युद्धकाल के अतीत को अक्सर संवेदनशील घरेलू मामला मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें युद्ध की भयावहता को दोहराना नहीं चाहिए।’ आबे ने कहा, ‘हमें सुलह की शक्ति निकट लेकर आई है और सहिष्णुता की भावना के कारण यह संभव हुआ है।’
अमेरिका के परमाणु बम का निशाना बने हिरोशिमा की ओबामा ने मई में यात्रा की थी। उन्होंने कहा, ‘मैं मित्रता की भावना के तहत आपका यहां स्वागत करता हूं।’ आबे ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि हम दुनिया को संदेश देंगे कि युद्ध के मुकाबले शांति में जीतने के लिए अधिक होता है और सुलह से प्रतिकार के बजाए अधिक प्रतिफल मिलता है।’ ओबामा ने यूएसएस अरिजोना की पृष्ठभूमि में कहा, ‘जब घृणा अपने चरम पर होती है, जब हम कबीलाई खींचतान के दौर में वापस पहुंच जाते है, हमें तब भी खुद में सिमटने की इच्छा से बचना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों को शैतान बनाने की इच्छा से बचना चाहिए जो हमसे जुदा हैं।’ दोनों नेताओं के बीच ऐसे समय में यह मुलाकात हुई है जब ओबामा कार्यालय छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं और अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों के कारण अमेरिका एवं जापान के संबंधों पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।