सऊद अरब में रमजान के पाक महीने में एक शख्स को फांसी की सजा दी गई है। सऊदी में 14 सालों में यह पहला ऐसा मामला है, जब किसी को रमजान में फांसी की सजा दी गई। जिस दिन शख्स को फांसी गई उस दिन पांचवां रोजा था। सऊदी प्रेस एजेंसी के अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि एक हत्या के मामले में उसे सजा सुनाई गई थी।
अधिकारी ने बताया कि 28 मार्च को सरेआम शख्स को फांसी दी गई थी। उसे मदीना क्षेत्र में फांसी दी गई थी। मदीना इस्लाम धर्म मानने वालों के लिए दुनिया का दूसरा सबसे पवित्र शहर है। बर्लिन स्थित यूरोपीय सऊदी मानवाधिकार संगठन (ईएसओएचआर) ने एक बयान में कहा, “सऊदी अरब ने रमजान के दौरान एक नागरिक को मार डाला।” सऊदी आंतरिक मंत्रालय के मृत्युदंड की सजा के आंकड़ों का हवाला देते हुए, समूह ने कहा कि 2009 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब पवित्र महीने में किसी को फांसी दी गई है। संगठन का कहना है कि सऊदी अरब उन देशों में से है, जहां सबसे ज्यादा मौत की सजा दी जाती है। संगठन का यह भी कहना है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासन में सऊदी अरब में मौत की सजा के मामले दोगुने हुए हैं।
इस मामले में दी गई फांसी
शख्स को हत्या के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद फांसी दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, उसने एक व्यक्ति की चाकू से हत्या कर आग लगा दी थी।
2023 में अब तक 17 लोगों की दी गई मौत की सजा
एएफपी के मुताबिक, संगठन ने पिछले 8 सालों का आंकड़ा पेश किया है। यह 2023 के चौथे महीने की शुरुआत है और ताजा मामले के बाद मौत की सजा पाए जाने वालों की संख्या 17 हो गई है। इससे पहले 2022 में 147 लोगों को फांसी दी गई, यह आंकड़ा 2021 का दुगना है। 2021 में 69 लोगों को मौत की सजा दी गई थी।
किंग मोहम्मद बिन सलमान ने साल 2015 में शासक के तौर पर सऊदी अरब की सत्ता संभाली थी और इस दौरान 1000 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है। पिछले साल ESOHR और ब्रिटेन स्थित एक संगठन ने एक रिपोर्ट में यह आंकड़ा पेश किया था। सऊदी में ज्यादातर सिर कलम कर मौत की सजा दी जाती है। स्थानीय मीडिया की ओर से जारी एक लेख में बताया गया कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने द अटलांटिक पत्रिका के साथ अपने एक इंटरव्यू में कहा कि देश में मौत की सजा से छुटकारा मिल चुका है, सिर्फ हत्या के मामलों में या फिर अगर कोई लोगों के जीवन को खतरे में डालता है, तो मौत की सजा दी जाती है।