Saudi Arabia: सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकारों को लेकर ट्वीट-रिट्वीट करने पर सलमा अल-शहाब को 34 साल की कारवास की सजा मिली है। इस मामले को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर लोग सऊदी अरब के इस फैसले की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
रोबर्ट एमर्सन नाम के एक ट्विटर यूजर ने कहा कि सऊदी अरब के साथ पुतिन के रूस जैसा व्यवहार करने की जरूरत है। उनके साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश के साथ कोई यात्रा वीजा नहीं होना चाहिए, कोई बिजनेस नहीं, कोई विदेशी सहायता या व्यापार नहीं करना चाहिए।
जैसपर नाम के एक और यूजर ने कहा कि कितना भयानक देश है सऊदी अरब। ये लोग फुटबॉल और गोल्फ के साथ हर किसी की अच्छी लिस्ट में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे कभी नहीं बदलने वाले हैं। उनका बहिष्कार करो।
एक और यूजर माइक लौरी ने कहा कि सऊदी अरब में लोग छुट्टियां मना रहे हैं? क्या ऐसा काम लोग करते हैं? खासकर अगर वे ह्यूमन राइट्स वर्कर हैं?
नाजिश मंच नाम की एक और यूजर ने लिखा, “यह घृणित है। पश्चिम में इस्लामोफोबिया का आह्वान किया जा सकता है और करना चाहिए, लेकिन इन लोगों को सऊदी और अन्य मुस्लिम देशों में महिलाओं और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए। एक यूजर का कहना था कि पश्चिम के देशों को सऊदी में दखल देने की जरूरत है।
बता दें कि सऊदी अरब में 34 साल की सलमा अल-शहाब को ट्विटर यूज करना भारी पड़ गया। कोर्ट ने उसे 34 साल की सजा सुनाई है। लीड्स यूनिवर्सिटी में PHD कर रही सलमा अल-शहाब छुट्टी पर घर आई थी और तभी उसे 34 साल की जेल की सजा सुनाई गई। उनके ट्विटर पर 2500 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। गौर करने वाली बात यह है कि 34 साल की सलमा 2 बच्चों की मां भी है, लेकिन अदालत ने उसके बच्चों की उम्र पर भी रहम नहीं खाया। सलमा ने जेल में बंद Loujain al-Hathoul समेत कई महिला कार्यकर्ताओं की रिहाई की वकालत की थी।
उन्हें पहले इंटरनेट वेबसाइट के उपयोग के लिए 3 साल की सजा हो चुकी है। तब उन पर सार्वजनिक अशांति पैदा करने और नागरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने का आरोप लगा था। सलमा पर आरोप है कि वो उन लोगों की सहायता कर रही थी जो अपने ट्विटर खातों के माध्यम से सार्वजनिक अशांति पैदा करना चाहते हैं। अदालत का कहना है कि ऐसे लोग नागरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर करना चाहते हैं। सलमा भी इसमें शरीक है।