न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता की दावेदारी का रूस ने भी समर्थन किया है। रूस ने कहा कि वह भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करेगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे चीन से भी यह पूछेंगे कि वह भारत की सदस्यता का विरोध क्यों कर रहा है। अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे से बातचीत में पुतिन ने कहा कि एनएसजी देशों की 20 से 24 जून तक सिओल में होने वाली बैठक में वे इस मुद्दे को उठाएंगे।
सेंट पीट्सबर्ग में इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम की बैठक से इतर पुतिन ने कहा कि सिओल में होने वाली मीटिंग में हम चीन से जानना चाहेंगे कि वह भारत को इस एलीट ग्रुप का मेंबर बनाए जाने के प्रपोजल का विरोध क्यों कर रहा है? भारत के अलावा जो दूसरे देश एनएसजी में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं, उनके बारे में भी विचार किया जा सकता है। पुतिन ने कहा कि किसी भी देश को सदस्यता दिए जाने का काम अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में रहकर ही किया जाना चाहिए। रूसी राष्ट्रपति ने भारत की तारीफ करते हुए ये भी कहा कि न्यूक्लियर सेफ्टी पर वह सक्रिय भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि भारत बड़ी जनसंख्या वाला देश है। वह आर्थिक समस्याओं और ऊर्जा की चुनौतियों से जूझ रहा है। इसके चलते उसे अन्य देशों के बराबर खड़ा नहीं किया जा सकता।
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भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती पर पुतिन ने कहा कि इससे रूस और भारत के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता। क्योंकि दोनों बहुत पुराने और अच्छे दोस्त हैं। भारत में सत्ताधारी और विपक्षी दल के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन रूस से रिश्तों पर दोनों सहमत हैं। हम इसका सम्मान करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें मोदी की विदेश नीति को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। अमेरिका और भारत का करीब आना प्राकृतिक प्रतिक्रिया है।
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बता दें कि भारत की एनएसजी में सदस्यता में केवल चीन ही अंड़गा लगा रहा है। पिछले दिनों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने भी भारत की सदस्यता का समर्थन किया था। इससे पहले अमेरिका, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत का समर्थन किया था।
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