Russia Ukraine War UN Voting: रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर UN में अहम प्रस्ताव पास हो गया है, लेकिन इस अहम वोटिंग से भारत और चीन ने दूरी बना रखी है। बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव के जरिए रूसी सैनिकों का यूक्रेन से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिका का ही कई संशोधनों के बाद इस प्रस्ताव को लेकर आया था, लेकिन भारत और चीन ने इससे दूरी बना ली। कुल 93 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, वहीं 18 देशों ने इसका विरोध किया। 65 देश ऐसे सामने आए जिन्होंने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया।
किस बात को लेकर था प्रस्ताव?
अब जानकार इसे यूक्रेन के लिए अच्छी खबर मानते हैं, लेकिन बड़ी बात यह है कि तीन साल के युद्ध के बाद जेलेंस्की के देश के लिए समर्थन कुछ कम भी हुआ है। अगर 83 देश यूक्रेन के साथ अब नहीं खड़े हैं, इसे एक झटके की तरह माना जा रहा है। भारत की बात करें तो हमेशा की तरफ न्यूट्रल अप्रोच दिखाते हुए ना यूक्रेन के समर्थन में वोट हुआ और ना ही रूस के विरोध में। भारत वैसे कह चुका है कि वो सिर्फ शांति का पक्षधर है और पीएम मोदी भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस स्टैंड को दोहरा चुके हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि 24 फरवरी को रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे हो चुके हैं। रूस ने एक मिलिट्री ऑपरेशन के नाम पर इस खूनी जंग को शुरू किया था। पहले तो राष्ट्रपति पुतिन कहा करते थे कि 72 घंटे में यूक्रेन को पानी पिला देंगे, लेकिन अब तीन साल बाद भी यह युद्ध बेनतीजा ही चल रहा है। इस युद्ध में सैकड़ों की संख्या में जवान, आम लोग मारे जा चुके हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध का कच्चा-चिट्ठा
अब तीन सालों बाद फिर सवाल उठता है- इस खूनी जंग में यूक्रेन ने क्या खोया है, इस खूनी जंग में रूस ने क्या हासिल किया है? अब सारे आंकड़े बताते हैं कि रूस और यूक्रेन को इस एक युद्ध की वजह से जबरदस्त नुकसान हुआ है। हजारों लोग तो मरे ही हैं, अर्थव्यवस्था भी तहस-नहस हुई है। IMF का आंकड़ा कहता है कि जब तीन साल पहले युद्ध छिड़ा था, रूस की अर्थव्यवस्था 1.3 फीसदी तक गिर गई थी, यह अलग बात है कि अब कुछ हद तक रीकवर करते हुए आंकड़ा 3.6 फीसदी तक पहुंच गया है। लेकिन अभी भी रूस की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है, चाहकर भी बिक्री कई सेक्टरों में नहीं बढ़ पा रही है। महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर है और इंटरेस्ट रेट भी काफी ज्यादा चल रहे हैं।
यूक्रेन को कितना नुकसान?
वैसे जिस मकसद के साथ रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, वो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। वर्तमान आंकड़े बताते हैं कि यूक्रेन की 18 फीसदी जमीन पर अब रूस का कब्जा है। पहली नजर में कहा जा सकता है कि यह तो एक बड़ी सफलता है, लेकिन अगर पूरे तीन साल के युद्ध को देखा जाए तो एक समय रूस के पास इससे काफी ज्यादा जमीन थी, यानी कि यूक्रेन की जवाब की कार्रवाई ने उल्टा रूस को बैकफुट पर ढकेला है। अगर इस युद्ध का पूरा कच्चा-चिट्ठा जानना है तो तुरंत यहां क्लिक करें