रूसी सेना के टैंकों पर दिखे Z के निशान की काफी चर्चा है। गौरतलब है कि ‘जेड’ को लेकर लोगों का ध्यान तब आकर्षित हुआ था जब इसे रूस की हजारों टैंकों, बख्तरबंद कर्मियों को ले जाने वाले वाहनों को रूस-यूक्रेन की सीमा पर देखा गया। इसके अलावा यह निशान अब रूस में काफी लोकप्रिय हो गया है। इसे कारों के पीछे, लोगों की टी-शर्ट पर भी देखा जा रहा है।

रिसर्च ग्रुप ‘द विल्सन सेंटर’ से जुड़े कामिल गालेव इसको लेकर कहते हैं कि कुछ लोग Z का अर्थ ज़ा पोबेडी (जीत के लिए) से जोड़ रहे हैं। वहीं कुछ का मानना है कि Zapad यानी वेस्ट के रूप में व्याख्या कर रहे हैं। हालांकि Z निशान को लेकर अन्य जानकारों का मानना है कि रूसी सेना अपने वाहनों को पहचानने के लिए इस निशान का प्रयोग कर रही है। ताकि सैनिकों को अपने वाहनों को पहचानने में कोई गलती ना हो।

वहीं टेलिग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के निशान का प्रयोग रोसवार्दिया ट्रूप्स के लिए किया जाता है। इसका मतलब रश‍ियन नेशनल गार्ड से है। यह सेना के जवानों से अलग हैं। रोसवार्दिया ट्रूप्स की हर कार्रवाई की जानकारी सीधे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को होती है।

इसके बारे में हफ्तों की अटकलों के बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को बताया कि “Za” से आया है। जोकि रूसी वाक्यांश “Za pobedu” का पहला शब्द है, जिसका अर्थ है जीत के लिए है।

वैसे खास निशान का प्रयोग इसके पहले कुवैत के इराकी लड़ाकों को खदेड़ने के लिए अमेरिकी वाहनों में भी देखा गया था। उस दौरान अमेरिकी सेना के वाहनों को एक बड़े सफेद शेवरॉन के साथ चित्रित किया गया था।

पिछले महीने, डिफेंस थिंक टैंक RUSI के पूर्व निदेशक प्रोफेसर माइकल क्लार्क ने स्काई न्यूज को बताया कि था ये प्रतीक किसी यूनिट या वाहनों की लोकेशन के बारे में जानकारी देते हैं। ‘Z’ को पहली बार 22 फरवरी को डोनेट्स्क क्षेत्र में प्रवेश करने वाले रूसी वाहनों पर देखा गया था।