Russia Ukarian War News: रूस और यूक्रेन युद्ध को पूरे तीन साल हो चुके हैं, आज ही के दिन पुतिन की सेना ने बड़ा हमला करते हुए यूक्रेन में युद्ध छेड़ दिया था। यह अलग बात रही कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस युद्ध को एक मिलिट्री ऑपरेशन बताया था, तब तो उनकी तरफ से 72 घंटे में पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने की बात भी हुई थी। लेकिन अब जब तीन साल हो चुके हैं, इस युद्ध में ना रूस जीता है और ना ही अभी तक यूक्रेन हारा है। यह एक ऐसा युद्ध रहा है जहां पर यूक्रेन को पश्चिमी देशों का लगातार समर्थन मिला और रूस अपनी सैन्य क्षमता की दम पर लगातार काउंटर ऑपरेशन चलाता रहा।

रूस और यूक्रेन की कैसी है आर्थिक हालत?

लेकिन अब तीन सालों बाद फिर सवाल उठता है- इस खूनी जंग में यूक्रेन ने क्या खोया है, इस खूनी जंग में रूस ने क्या हासिल किया है? अब सारे आंकड़े बताते हैं कि रूस और यूक्रेन को इस एक युद्ध की वजह से जबरदस्त नुकसान हुआ है। हजारों लोग तो मरे ही हैं, अर्थव्यवस्था भी तहस-नहस हुई है। IMF का आंकड़ा कहता है कि जब तीन साल पहले युद्ध छिड़ा था, रूस की अर्थव्यवस्था 1.3 फीसदी तक गिर गई थी, यह अलग बात है कि अब कुछ हद तक रीकवर करते हुए आंकड़ा 3.6 फीसदी तक पहुंच गया है। लेकिन अभी भी रूस की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है, चाहकर भी बिक्री कई सेक्टरों में नहीं बढ़ पा रही है। महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर है और इंटरेस्ट रेट भी काफी ज्यादा चल रहे हैं।

यूक्रेन की बात करें तो वहां पर अभी 2022 में इकोनॉमी 36 फीसदी तक गिर गई थी, ऐसी गिरावट थी कि उठना काफी मुश्किल। लेकिन 2023 आते-आते यूक्रेन ने अपनी आर्थिक गति को 5.3 फीसदी तक पहुंचाया, इसे रूस की तुलना में बेहतर वापस भी माना गया। लेकिन जानकार कह रहे हैं कि कई सेक्टरों पर युद्ध का असर साफ देखने को मिल रहा है, आने वाले समय में यूक्रेन की जीडीपी भी 2.7 प्रतिशत तक गिर सकती है।

रूस और यूक्रेन को युद्ध से क्या हासिल हुआ?

वैसे जिस मकसद के साथ रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, वो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। वर्तमान आंकड़े बताते हैं कि यूक्रेन की 18 फीसदी जमीन पर अब रूस का कब्जा है। पहली नजर में कहा जा सकता है कि यह तो एक बड़ी सफलता है, लेकिन अगर पूरे तीन साल के युद्ध को देखा जाए तो एक समय रूस के पास इससे काफी ज्यादा जमीन थी, यानी कि यूक्रेन की जवाब की कार्रवाई ने उल्टा रूस को बैकफुट पर ढकेला है। असल में Institute for the Study of War (ISW) के मुताबिक एक समय यूक्रेन की 54 फीसदी जमीन पर रूस का कब्जा हो गया था, लेकिन फिर खेरसॉन, खारकीव जैसे इलाकों पर जेलेंस्की की सेना ने वापस अपना हक जमाया और 54 फीसदी वाला आंकड़ा गिरकर 18 फीसदी तक चला गया।

समझने वाली बात यह भी है कि यूक्रेन ने सिर्फ अपनी खोई जमीन हासिल नहीं की बल्कि काउंटर ऑपरेशन में रूस की भी कुछ जमीन पर कब्जा जमाया। पिछले साल अगस्त का महीना व्लादिमीर पुतिन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि तब एक अप्रत्याशित हमले में यूक्रेन ने रूस के Kursk इलाके पर आक्रमण कर दिया था। बताया गया कि यूक्रेनी सेना पूरे 10 किलोमीटर तक रूसी जमीन के अंदर घुस गई और उसने 250 स्क्वायर किलोमीटर लैंड पर कब्जा किया।

रूस-यूक्रेन के कितने लोग मारे गए?

अभी इस समय रूस-यूक्रेन में युद्ध जारी है, पुतिन की सेना ने भरकस प्रयास कर Donetsk, Luhansk, Zaporizhia और खेरसॉन जैसे इलाकों पर अपना कब्जा रखा है, इसी वजह से आंकड़ा 18 फीसदी तक जा रहा है। अब दोनों ही देशों ने एक दूसरे की कुछ जमीन पर कब्जा किया है, लेकिन किस कीमत पर- आंकड़े बता रहे हैं कि इस खूनी जंग में अब तक कुल 2024, 236,000 रिहायशी बिल्डिंग्स को नुकसान पहुंचा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक तमाम डेटा छिपाने के बाद भी, कहा जा सकता है कि रूस के 95 हजार सैनिकों की इस युद्ध में जान गई है। यूक्रेन की बात करें तो उसके भी 45 हजार से ज्यादा जवान मारे गए हैं, 12654 आम नागरिकों की भी जान गई है।

यूक्रेन में सबसे बड़ा विस्थापन

अब इस खूनी जंग ने यूक्रेन को एक और बड़ा आघात दिया है। असल में इस युद्ध में उसके सैकड़ों लोग तो मारे ही गए हैं, उससे भी ज्यादा विस्थापित हुए हैं। UN High Commissioner for Refugees के आंकड़ों को अगर डीकोड किया जाए तो पता चलता है कि अकेले 2024 में यूक्रेन से 3.7 मिलियन लोग अपने ही देश में विस्थापित हो चुके हैं, यानी कि एक जगह से दूसरी जगह जाने पर मजबूर हुए हैं। वहीं 6.9 मिलियन तो ऐसे मजबूर लोग हैं जिन्होंने अब दूसरे देशों में असाइलम मांगा है। वहीं जब 2022 में यह युद्ध शुरू हुआ था, तब तो 5.7 मिलियन यूक्रेनी लोगों ने अपना देश छोड़ दिया था।

यूक्रेन को तीन सालों में कहां से मिली मदद?

CNN को भी UN’s Refugee Agency का एक आंकड़ा प्राप्त हुआ था। उस आंकड़े के मुताबिक वर्तमान में 6.3 मिलियन यूक्रेनी लोग यूरोप में रह रहे हैं, 1.2 मिलियन जर्मनी में, 1 मिलियन पोलैंड में। अब अगर यह आंकड़े डरा रहे हैं, यूक्रेन के लिए आने वाले दिन और ज्यादा मुश्किल साबित हो सकते हैं, कहना चाहिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण। असल में अमेरिका ही अब तक यूक्रेन को सबसे ज्यादा पैसा दे रहा था, इतने लंबे समय से जो यूक्रेन युद्ध लड़ पा रहा था, उसमें व्हाइट हाउस की बड़ी मदद शामिल थी। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही जेलेंस्की को सबसे बड़ा झटका लगा है। अमेरिका से मिलने वाला पैसा बंद हुआ है, इसके ऊपर अब तो ट्रंप का रुझान जेलेंस्की के प्रति कम और पुतिन के प्रति ज्यादा झुका है।

देशमदद
अमेरिका47%
जर्मनी8%
नेथ4%
स्वीडन3%
फ्रांस3%
इटली1%
डेनमार्क4%
पोलैंड2%
Kiel Institute for the World Economy

Kiel Institute for the World Economy लंबे समय इस बात को ट्रैक कर रहा है कि यूक्रेन को कौन से पश्चिमी देश से कितना पैसा मिला है। वो आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि यूक्रेन की जरूरत से ज्यादा निर्भरता अमेरिका पर चल रही है। 2022 से अब तक अमेरिका ने यूक्रेन को 95 बिलियन डॉलर की मदद दी है, यानी कि कुल मदद का यह 47 फीसदी है। इसी तरह पिछले तीन सालों में जर्मनी से यूक्रेन को 8 फीसदी आर्थिक मदद मिली है, नेथ से 4 फीसदी, स्वेडन से 3 फीसदी, फ्रांस से 3 फीसदी, इटली से 1 फीसदी, डेनमार्क से 4 फीसदी, पोलैंड से 2 फीसदी।

ट्रंप का आना, कैसा होगा रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत?

अब अमेरिका की मदद अगर हटा दी जाए, यूक्रेन के लिए इस युद्ध को जारी रखना काफी मुश्किल हो जाएगा। यहां तो डोनाल्ड ट्रंप पूरी तरह पुतिन का समर्थन करते दिख रहे हैं, बयान दे रहे हैं कि यूक्रेन ने क्या सोचकर यह युद्ध शुरू किया था। वे तो अब यहां तक कहते सुनाई दे रहे हैं कि यूक्रेन को खोई हुई जमीन के बारे में नहीं सोचना चाहिए, उसे नेटो में शामिल होने का ख्याल भी त्याग देना चाहिए। इसके ऊपर अब जो शांति वार्दा वाली बैठकें सऊदी अरब में शुरू भी हुई हैं, ट्रंप ने उनमें जेलेंस्की को न्योता तक नहीं दिया है। ऐसे में युद्ध का अंत किन शर्तों के साथ होगा, कब तक होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं।