शरणार्थियों को अक्सर शरण देने वाले देशों की अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक बोझ के तौर पर समझा जाता है, लेकिन एक नए अध्ययन में यह पाया गया कि विशेष तौर पर नकद रूप में सहायता पाने वाले शरणार्थी वास्तव में अपने मेजबान देश की अर्थव्यस्था को ठोस मजबूती प्रदान कर सकते हैं। अमेरिका में यूनीवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस (यूसी डेविस) से शोधकर्ताओं ने पाया कि ये आर्थिक लाभ मुख्य रूप से दान में मिली सहायता से भी अधिक होते हैं। अध्ययन में रवांडा में रह रहे कांगो से आए शरणार्थियों के तीन शिविरों के आर्थिक प्रभाव की पड़ताल की गई।
शरणार्थियों के दो शिविरों में उन्हें संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम से नकद सहायता मिली थी जबकि तीसरे शिविर मे उन्हें दान में मिले भोज्य पदार्थ के तौर पर इतनी ही रकम की सहायता मिली थी। शरण देने वाले देश की अर्थव्यवस्था पर शरणार्थियों के प्रभाव को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में स्थानीय सर्वेक्षण के आधार पर तीन शरणार्थी शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे के अंदर आर्थिक मॉडलिंग तरीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि शरणार्थियो के भोज्य पदार्थों के बजाय नकद सहायता देने वाले मेजबान देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर पड़ा।
यूसी डेविस के जे एडवर्ड टेलर ने बताया, ‘हमारे हालिया अध्ययन के आंकड़े यह सुझाव देते हैं कि प्रवास और नि:सहाय स्थिति में रहने के लिए मजबूर होने के बावजूद वे उपयोगी हैं और अपने मेजबान देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक तरीके से प्रभाव डाल सकते हैं।’ यह शोध पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।