पोप फ्रांसिस ने दुनियाभर में हो रहे जिहादी हमलों की शनिवार (9 जनवरी) को ‘नरहत्या की सनक’ करार देकर निंदा की और सभी धार्मिक प्रमुखों से दृढता से यह आह्वान करने की अपील की ‘कोई ईश्वर के नाम पर कभी हत्या नहीं कर सकता।’ दुनिया के 1.2 अरब रोमन कैथोलिकों के नेता ने सरकार के नेताओं से गरीबी से लड़ने का भी आह्वान किया, क्योंकि उनके अनुसार गरीबी कट्टरपंथ को फूलने-फलने की उर्वर जमीन प्रदान करती है। वैटिकन के राजनयिक कोर में अपने कठोर एवं व्यापक भाषण में 80 वर्षीय पोप ने इस बात पर दुख प्रकट किया है कि अब भी यदा-कदा धर्म का अस्वीकृति, हाशिये पर होने तथा हिंसा के बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कट्टरपंथ प्रेरित आतंकवाद का हवाला दिया जिसने वर्ष 2016 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बेल्जियम, बुरकिना फासो, मिस्र, फ्रांस, जर्मनी, इराक, जोर्डन, नाईजीरिया, पाकिस्तान, ट्यूनीशिया, तुर्की और अमेरिका में लोगों को अपना शिकार बनाया।
फ्रांसिस ने कहा, ‘ये घृणित हरकते हैं जहां लोगों की हत्या करने ‘जैसा कि नाइजीरिया में हुआ’, प्रार्थना सभा में लोगों को, ‘जैसा कि काहिरा के कोप्टिक कैथड्रल मे हुआ’, यात्रियों एवं श्रमिकों, जैसा कि ब्रूसेल्स में हुआ, नाइस और बर्लिन में राहगीरों को, नये साल मना रहे लोगों जैसा कि इस्तांबुल में हुआ, को निशाना बनाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘हम नरहत्या करने की सनक की स्थिति से जूझ रहे हैं जहां वर्चस्व एवं ताकत के खेल में हत्या फैलाने के लिए ईश्वर के नाम का दुरुपयोग किया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘अतएव, मैं सभी धार्मिक प्रमुखों से इस बात का दृढ़ता से आह्वान करने में साथ आने की अपील करता हूं कि कोई ईश्वर के नाम पर हत्या नहीं कर सकता।’
