पेरू में सरकार के खिलाफ भड़के प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने के बाद देश में अब तक स्थिरता नहीं लौट पाई है। आलम यह है कि पेरू में पिछले एक हफ्ते में ही दो राष्ट्रपतियों को इस्तीफा देना पड़ा है। मंगलवार को इस देश में तीसरी बार एक सांसद का राष्ट्रपति के तौर पर शपथग्रहण कराया गया, ताकि विरोध की वजह से अस्थिर हुए देश में स्थिरता लौटाई जा सके।
गौरतलब है कि दक्षिण अमेरिका में स्थित पेरू में पिछले हफ्ते लोकप्रिय नेता मार्टिन विजकारा को संसद में चली महाभियोग कार्यवाही के जरिए हटा दिया गया था। विजकारा के भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे पर उनका कई बार संसद में साथी सांसदों से तनाव भी हुआ था। विजकारा के हटाए जाने के बाद पेरू में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसमें दो लोगों की जान भी जा चुकी है।
बता दें कि विजकारा के हटाए जाने के बाद मैनुएल मेरिनो को राष्ट्रपति चुना गया था, हालांकि उन्होंने भी प्रदर्शनों के भड़कने के बाद पांच दिन तक शासन में रहने के बाद इस्तीफा दे दिया था। पेरू के नए राष्ट्रपति फ्रांसिस्को सागस्ती मध्यमार्गीय पर्पल पार्टी का हिस्सा हैं। वे अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर अगले साल जुलाई तक पद पर रहेंगे। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव इससे पहले 11 अप्रैल को ही करा लिए जाएंगे।
सागस्ती ने शपथग्रहण समारोह के बाद संसद में अपने पहले संबोधन में कहा कि सभी का शांत रहना जरूरी है, पर इसे सहनशीलता या इस्तीफे का भ्रम मानना गलती होगी। पेरू में सागस्ती की नियुक्ति के बाद कई जगहों पर प्रदर्शन शांत भी दिखे, जबकि इससे पहले सोमवार को सैकड़ों की संख्या में लोगों ने राजधानी लीमा में नए संविधान और मृतकों के लिए न्याय की मांग में उग्र प्रदर्शन किए थे।
