अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के हैडक्वार्टर पेंटागन ने इराक में फर्जी आतंकी वीडियो बनाने के लिए ब्रिटेन की एक पीआर फर्म को करोड़ों डॉलर दिए थे। ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेटिव जर्नलिज्म ने यह खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार पीआर फर्म बेल पोटिंगर ने सीक्रेट ऑपरेशन के दौरान प्रॉपगैंडा फैलाने के लिए अमेरिकी सेना के साथ काम किया। इस फर्म ने अल कायदा को गलत रूप में दिखाने के लिए पेंटागन, सीआईए और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के साथ काम किया। इन फर्जी वीडियो को इन्हें देखने वाले लोगों को ट्रैक करने के काम में लिया गया। दावा किया गया है कि पीआर फर्म के कर्मचारियों ने बगदाद मैं कैंप में वास्तविक चीजों की नकल करते हुए आतंकवाद विरोधी प्रॉपगैंडा के लिए वीडियो बनाए।पीआर फर्म बेल पोटिंगर के अन्य क्लाइंट्स में चिली के तानाशाह अगस्तो पिनोचेट का फाउंडेशन, मार्गरेट थ्रेचर और सऊदी अरब की सरकार शामिल है। संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पीआर फर्म के पूर्व चेयरमैन लॉर्ड टिम बैल ने कॉवर्ट मिलिट्री ऑपरेशन की पुष्टि की।
बारामुला में सेना के मुख्यालय पर हमले के दौरान आतंकियों ने आम लोगों को ढाल बनाया, देखे वीडियो:
इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने इराक पर जब पहली बार हमला किया उसके कुछ दिनों बाद ही पीआर फर्म को वहां ले जाया गया। इसके बाद अल कायदा को नकारात्मक रूप से दिखाने वाला वीडियो बनाने और उस वीडियो को देखने वाले लोगों को ट्रैक करने का काम शुरू हुआ। इस काम को व्हाइट हाउस और उस समय गठबंधन सेनाओं के प्रमुख जनरल डेविड पेट्रायस ने मंजूरी दी। इस काम के तहत क्रू को लो क्वालिटी में बमबारी को शूट करने को भेजा जाता। इसके बाद इसे न्यूज फुटेज की तरह एडिट किया जाता। फर्म ने अल कायदा के फर्जी प्रॉपगैंडा के वीडियो भी बनाए। बाद में सेना जिन घरों पर रेड करती थी वहां इन्हें प्लांट किया जाता।
Fake news and false flags: How the #Pentagon paid a British PR firm $500M for top secret Iraq propaganda https://t.co/Wg86h9GXrY pic.twitter.com/9q45cOJ1ZI
— The Bureau of Investigative Journalism (@TBIJ) October 2, 2016
वीडियो 10 मिनट तक लंबे और फाइल फॉर्मेट में बनाए जाते। बाद में इन्हें एनकोड भी किया जाता। वीडियो रियल प्लेयर पर चलने लायक ही बनाए जाते और इन्हें देखने के लिए इंटरनेट की जरुरत पड़ती। इनकी सीडी कोड से एमबेड होती जिससे कि सेना आईपी एड्रेस का पता लगा लेती। ये वीडियो ईरान, सीरिया और अमेरिका में चलाए जाते। दस्तावेजों के अनुसार इस काम के लिए साल 2007 से 2011 के बीच पेंटागन ने 540 मिलियन डॉलर यानि लगभग 36 अरब रुपये दिए थे। साल 2011 में यह काम समाप्त हो गया।