पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने आखिरकार अपनी भूल को स्वीकार कर लिया है।

उन्होंने मान लिया है कि अफगानिस्तान में कुख्यात आतंकवादी संगठन तालिबान की सरकार को मान्यता देना उनके देश की एक बड़ी गलती थी। सूत्रों के अनुसार जनरल मुशर्रफ का कहना है कि सऊदी अरब और संयुक्त अमीरात भी तालिबानी सरकार को मान्यता देने से पीछे हट गए लेकिन पाकिस्तान ने 1996 से 2001 तक के तालिबानी शासन को मान्यता दी हुई थी।

उन्होंने कहा कि तालिबान को मान्यता देने वाला पाकिस्तान एकमात्र देश था लेकिन आतंकवादी संगठन अल कायदा के उद्भव के लिए अमेरिका औार पश्चिमी देश जिम्मेदार हैं।

नौ सालों तक पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज रहे जनरल मुशर्रफ ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में 1979 में सोवियत संघ के आक्रमण के बाद पूरी दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया और अमेरिका ने तीन सबसे बड़ी भूलें कीं।

पहली भूल यह थी कि सोवियंत संघ के खिलाफ हथियार उठाने वाले 25000 अफगानी मुजाहिदीनों का पुनर्वास नहीं किया गया।