सीमा पर तनाव बढ़ाने के बाद अब पाकिस्तान ने सांस्कृतिक स्तर पर भी परेशानी खड़ी करने का मन बनाया है। वह मोहनजोदड़ो में मिली कांसे की एक प्रतिमा ‘डांसिंग गर्ल’ को ‘भारत से वापस लेने’ की योजना बना रहा है। 4,500 साल पुरानी इस कलाकृति के बारे में मशहूर ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता मार्टिमर व्हीलर ने कहा था, ”उसके जैसा कोई नहीं, मेरे ख्याल से, पूरी दुनिया में।’ 10.5 सेंटीमीटर लंबी यह इस प्रतिमा को 1926 में ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता अर्नेस्ट मैके ने सिंध में सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन शहर, मोहनजोदड़ो से निकाला था। फिलहाल यह प्रतिमा नई दिल्ली स्थित नेशनल म्यूजियम में रखी गई है। पाकिस्तानी मीडिया में रविवार को आई खबरों के अनुसार, पाकिस्तान नेशनल काउंसिल ऑफ द आर्ट्स के महानिदेशक सैयद जमाल शाह ने कहा है कि यह मूर्ति UNESCO संधि के तहत मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहली बार भारत सरकार से काेई मांग की जा रही है और ‘डांसिंग गर्ल को वापस मांगने का उद्देश्य विरासत की रक्षा करना है।”
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नेशनल म्यूजियम की वेबसाइट के अनुसार, ‘प्रतिमा (डांसिंग गर्ल) मोहनजोदड़ो के ‘एचआर एरिया’ की खुदाई के वक्त मिली थी। इससे दो महत्वपूर्ण बातें पता चलती हैं। एक, कि सिंधु सभ्यता के कलाकार धातुओं को मिलाना और उन्हें ढालना जानते थे और शायद धातुकर्म के अन्य तकनीकी पहलुओं के बारे में भी उन्हें पता था। दूसरा, एक पूर्ण विकसित सभ्यता के तौर पर सिंधु के लोगों ने मनोरंजन के लिए नृत्य और अन्य कलाओं की खोज कर ली थी। बाएं पैर का अागे की ओर झटका देना और पिछले पैर का दाहिनी ओर झुके होगा, हाथों की मुद्राएं, चेहरे के हाव-भाव और उठा हुआ सिर, नृत्य में लग्नता दिखाते हैं। शायद उन शुरुआती कलाओं में से एक जिनमें नृत्य के साथ ड्रामा, डॉयलॉग और शारीरिक भाव भंगिमाएं भी शामिल थीं।”
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व्हीलर ने इस लड़की की प्रतिमा को बेहद सराहा था। उन्होंने लिखा था, ”मुझे लगता है कि वह करीब 15 साल की रही होगी, इससे ज्यादा नहीं लेकिन बांह पर चूडियों के सिवा कुछ न लिए खड़ी है। एक लड़की जो अपनी धुन में मगन है, आत्मविश्वास से भरी है। उसके जैसे कोई नहीं, मेरे ख्याल से, पूरी दुनिया में।”