13 साल की एक पाकिस्तानी लड़की की शादी 36 साल के एक विकलांग दूल्हे से इसलिए कर दी गई, क्योंकि लड़की का पिता दूल्हे की बहन को अपनी दूसरी पत्नी बनाना चाहता था। पाकिस्तान के जामपुर के वजीर अहमद ने अपने बेटी सायमा की शादी मोहम्मद रमजान से इस उम्मीद में करवा दी कि रमजान अपनी बहन की शादी उससे करवा देगा। रमजान सुन और बोल नहीं सकता। पुलिस को जब इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने अहमद और रमजान को जेल भेज दिया। सायमा ने कोर्ट में गवाही दी कि वह उस वक्त 16 साल की थी, उसके बाद वे दोनों जेल से छूट गए। उसने बताया कि उसने यह गवाही इसलिए दी क्योंकि वह अपने पिता और पति को बचाना चाहती थी।

एपी को दिए इंटरव्यू में रमजान केवल उंगुलियों का इस्तेमाल करके अपनी पत्नी का उम्र गिन सकता है। अहमद ने बताया कि वह 13 नहीं बल्कि 14 साल थी। उसके लिए यह मायने रखता है कि वह शादी के वक्त जवान हो गई थी। वह रमजान की बहन को अपनी दूसरी पत्नी बनाना चाहता था। अहमद की पत्नी ने सायमा की मां से केवल बेटियां हुई थीं, उसे उम्मीद थी कि उसकी दूसरी पत्नी से उसे बेटा मिल जाएगा। लेकिन सबील तब तक शादी नहीं करना चाहती थी, जब तक उसके भाई का ख्याल रखने वाला कोई उसकी पत्नी ना हो। वह अपने भाई के लिए बदले में किसी की पत्नी बन सकती थी।

अहमद अभी दोनों पत्नियां के साथ रह रहा है। उसने बताया कि रजमान की उम्र उसकी बेटी से तीन गुना ज्यादा थी यह कोई मायने नहीं रखता। लेकिन कानूनी उम्र लड़की की शादी के लिए 16 साल है। उसने बताया कि सायमा की शादी के बारे में पुलिस में उनके किसी रिश्तेदार ने की थी, जिसके सात उनका झगड़ा था।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आदिवासियों में यह प्रथा है कि वे अपने बेटे की शादी के लिए दुल्हन के घर में अपने बेटी की शादी कर देते हैं। कई बार यहां पर कर्ज चुकाने के लिए भी बेटियों की शादी कर दी जाती है। वह दहेज अपने ही घर में रखने के लिए चचेरे भाई से भी शादी करा दी जाती है। कईयों का मानना है कि इस्लाम में यह है कि पिता अपनी बेटी की शादी उसके जवान होने पर कर सकता है।