म्यामांर में सेना की ओर से रोहिंग्या मुसलमानों पर चार महीने के दौरान की गई कार्रवाई में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘म्यामांर में ‘क्षेत्र सफाया’ अभियानों में कई सौ लोगों के मारे जाने की आशंका है।’ इस रिपोर्ट में म्यांमार की सेना की ओर से पिछले साल 10 अक्तूबर से आरंभ की गई कार्रवाई का हवाला दिया गया है। यह रिपोर्ट 204 रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ साक्षात्कारों के आधार पर तैयार की गई है। ये लोग भागकर बांग्लादेश पहुंचे हैं। इसमें कहा गया है, ‘इसकी पूरी आशंका है कि म्यामांर में मानवता विरोधी अपराधों को अंजाम दिया गया है।’

संयुक्त राष्ट्र के कई दूसरे अधिकारियों ने भी म्यामांर की सेना और दूसरी एजेंसियों पर इस तरह के आरोप लगाए थे। संयुक्त राष्ट्र ने जिन शरणार्थियों से बात की उनमें से 47 फीसदी ने कहा कि वे उनके परिवार का कोई एक सदस्य मारा गया है, जबकि 43 फीसदी लोगों ने बलात्कार की शिकायत की है। म्यांमार सरकार रोहिंग्या को देश का जातीय अल्पसंख्यक मानने से इंकार करती है और इनको बंगाली अथवा अवैध प्रवासी करार देती है। सेना की ओर से राखिने प्रांत में कार्रवाई की गई है। इस प्रांत में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या रहते हैं। म्यांमार सरकार की अपनी जांच में इस आरोप से इंकार किया गया है कि सुरक्षा बलों ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ नरसंहार का कोई अभियान चलाया है।