छह साल के जापानी अंतरिक्ष मिशन (Japanese space mission) पर एकत्र किए गए दुर्लभ नमूनों का विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर पानी सौर मंडल के बाहरी किनारों से छोटे तारों द्वारा लाया गया होगा। जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड के निर्माण पर प्रकाश डालने के लिए, शोधकर्ता 2020 में छोटा तारा (asteroids) रयुगु (Ryugu) से पृथ्वी पर वापस लाई गई सामग्री की विश्लेषण कर रहे हैं।

जापानी अंतरिक्ष जांच मिशन हायाबुसा -2 (Hayabusa-2) आकाशीय पिंड (celestial body) पर उतरा और इसकी सतह से 5.4 ग्राम (0.2 औंस) चट्टानें और धूल इकट्ठा किया था। इसका अध्ययन और विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के एक समूह ने जून में कहा था कि उन्हें मिले कार्बनिक पदार्थ से पता चला है कि पृथ्वी पर जीवन के कुछ निर्माण खंड, अमीनो एसिड, अंतरिक्ष में बने हो सकते हैं।

नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित एक नए पेपर में, वैज्ञानिकों ने कहा कि रयुगु (Ryugu) के नमूने इस रहस्य का सुराग दे सकते हैं कि अरबों साल पहले पृथ्वी पर महासागर कैसे आए।

सोमवार को प्रकाशित जापान और अन्य देशों के वैज्ञानिकों के किए गए अध्ययन में कहा गया है, “वाष्पशील और कार्बन समृद्ध सी-टाइप के छोटे तारे पृथ्वी पर पानी के मुख्य स्रोतों में से एक हो सकते हैं।” इसमें यह भी कहा गया, “पृथ्वी पर वाष्पशील (अर्थात, ऑर्गेनिक्स और पानी) की डिलीवरी अभी भी बहस का विषय है।” लेकिन “इस अध्ययन में पहचाने गए रयुगु कणों (Ryugu Particles) में पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थ शायद वाष्पशील के एक महत्वपूर्ण स्रोत को दर्शाते हैं।”

हायाबुसा -2 को 2014 में लगभग 300 मिलियन किलोमीटर दूर रयुगु के अपने मिशन पर लॉन्च किया गया था

वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि इस तरह की सामग्री में शायद “बाहरी सौर मंडल की उत्पत्ति” है, लेकिन कहा कि इसके “शुरुआती पृथ्वी पर आए वाष्पशील का एकमात्र स्रोत होने की संभावना नहीं है।” हायाबुसा -2 को 2014 में लगभग 300 मिलियन किलोमीटर दूर रयुगु के अपने मिशन पर लॉन्च किया गया था, और दो साल पहले नमूना युक्त एक कैप्सूल को छोड़ने के लिए पृथ्वी की कक्षा में लौटा था।

नेचर एस्ट्रोनॉमी अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने फिर से मिशन के निष्कर्षों की सराहना की। अध्ययन में कहा गया है, “रयगु कण (Ryugu Particles) निस्संदेह प्रयोगशाला अध्ययन के लिए उपलब्ध सबसे अप्रदूषित सौर प्रणाली सामग्री में से हैं और इन बहुमूल्य नमूनों की चल रही जांच निश्चित रूप से प्रारंभिक सौर प्रणाली प्रक्रियाओं की हमारी समझ का विस्तार करेगी।”