इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता के नाम की घोषणा हो चुकी है। बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को 2022 का संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है। नोबेल पुरस्कार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी गई है। पिछले साल, फिलीपींस के पत्रकार मारिया रसा और रूस के दिमित्री मुराटोव ने 2021 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता था।

ट्विटर पोस्ट में कहा गया, “बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को नोबेल शांति पुरस्कार, 2022 से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अपने देशों में नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कई वर्षों तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों के लिए काम किया है।”

इन संगठनों ने युद्ध अपराधों, मानवाधिकारों के हनन और सत्ता के दुरुपयोग का दस्तावेजीकरण करने के लिए उत्कृष्ट प्रयास किया है। इसके साथ ही शांति और लोकतंत्र के लिए नागरिक समाज के महत्व पर जोर दिया। बेलारूसी मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की 1980 के दशक में लोकतांत्रिक आंदोलन शुरू करने वालों में से एक हैं। 1996 में उन्होंने वियासना (Viansa) संगठन की स्थापना की। उन्होंने अपना पूरा जीवन राजनीतिक कैदियों पर होने वाले अत्याचारों, देश में लोकतंत्र की स्थापना और शांतिपूर्ण विकास के लिए समर्पित किया।

पूर्व सोवियत संघ में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 1987 में रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल की स्थापना की थी। मेमोरियल इस धारणा पर आधारित है कि नए अपराधों को रोकने के लिए पिछले अपराधों का सामना करना आवश्यक है।

वहीं, सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना यूक्रेन में मानवाधिकारों और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इस संस्था ने यूक्रेनी आबादी के खिलाफ रूसी युद्ध अपराधों की पहचान करने और उनका दस्तावेजीकरण करने का काम किया है।

बताया जा रहा था कि नोबेल शांति पुरस्कार की रेस में 343 उम्मीदवार थे, जिनमें से 251 व्यक्ति और 92 संस्थान थे। इनमें भारतीय फैक्ट-चेकर मोहम्मद जु़बैर और प्रतीक सिन्हा का नाम भी शामिल था।