नेपाल की पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार कर एक ऐसे गिरोह का भांडाफोड़ करने का दावा किया है जो भारत की खुफिया एजेंसी रॉ में नौकरी दिलाने का वादा कर धोखाधड़ी करता था। एजेंसी ने करीब 60 लोगों को चूना लगाया है। पुलिस के वक्तव्य के मुताबिक रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग (रॉ) में नौकरी दिलवाने का झूठा वादा कर गिरोह के छह सदस्य लोगों से मोटी रकम वसूलते थे। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान रामानंद नोनिया, संतोष कारकी, विनोद कारकी, पदम बहादुर श्रेष्ठ, चित्रा बहादुर श्रेष्ठ और गीता महाराजन के रूप में की गई।

पुलिस ने बताया कि ये लोग जाली जॉब कॉन्ट्रेक्ट तैयार करने के लिए भारतीय दूतावास के फर्जी लैटरहेड का इस्तेमाल करते थे। नौकरी के इच्छुक लोगों से ये लोग तीन से पांच लाख नेपाली रुपए लिया करते थे। तेकु के पुलिस अधीक्षक दिबेश लोहानी ने बताया कि उन्होंने कई लोगों से लाखों रुपए ठगे। वह लोगों से नौकरी दिलवाने के बदले उनसे चार महीने का वेतन मांगता था।

पुलिस के पास दस से अधिक शिकायतकर्ता आए थे। उन्होंने बताया कि ठगों ने उन्हें 75,000 नेपाली रुपए के मासिक वेतन वाली नौकरी दिलवाने का वादा किया था। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही नेपाल में जाली नोट छापने में कथित तौर पर संलिप्त रहने को लेकर दो भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया था कि एक गुप्त सूचना के आधार पर उसने बलबीर सिंह (22) और कृष्ण सिंह (20) को सुदूर पश्चिमी क्षेत्र के भीमदत्त नगर निकाय क्षेत्र से गिरफ्तार किया। वहां ये लोग 1000 रुपए मूल्य के जाली नेपाली नोट छाप रहे थे। पुलिस ने बताया था कि ये दोनों लोग पहले भारत से जाली नेपाली नोट छापा करते थे।

वहीं दूसरी तरफ, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) से संबंध रखने वाले 16 मंत्रियों ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के कहने पर उन्होंने यह कदम उठाया था। करीब तीन महीने पहले प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने उनके विभाग छीन लिए थे। हाल के चुनाव में सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-एमसी के वाम गठबंधन ने 275 सदस्यीय संसद में 174 सीटें हासिल की थीं। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री गिरिराजमणि पोखरियाल ने सभी मंत्रियों के इस्तीफे प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा को सौंप दिए थे। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में 10 कैबिनेट और छह राज्य मंत्री थे।