दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर नेपाल सरकार के दो महीने के सफाई अभियान के दौरान वहां से 11000 किलोग्राम कूड़ा-कचरा और चार शव हटाए गए। इन शवों में एक रूसी नागरिक और एक नेपाली पर्वतारोही है। दो अन्य शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है।

सेना के हेलीकॉप्टर एवरेस्ट के बेस कैंप से इस कूड़े को काठमांडू लाए। इसमें ऑक्सीजन के खाली सिलेंडर, प्लास्टिक की बोतलें, कनस्तर, बैटरियां, भोजन को लपेटकर रखने वाली चीजें, मानव मल और रसोईघर संबंधी अपशिष्ट शामिल हैं। नेपाली सेना के जन संपर्क निदेशालय निदेशक बिज्ञान देव पांडे ने कहा, ‘विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को काठमांडू में नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्णचंद थापा की उपस्थिति में एक कार्यक्रम में कुछ कूड़ा एनजीओ ‘ब्लू वेस्ट टू वैल्यू’ को सौंपा गया है।

यह एनजीओ अपशिष्ट उत्पादों को रिसाइकल करता है।’ यह कार्यक्रम स्वच्छता अभियान के समापन पर आयोजित किया गया था। दुनिया की सबसे ऊंची (8850 मीटर) चोटी से कई टन कूड़ा लाने के लिए यह अभियान चलाया गया था। इस काम में नेपाल सेना के अलावा नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिशन, पर्यटन मंत्रालय और एवरेस्ट पॉल्यूशन कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने सहयोग दिया। पांडे ने कहा कि हम इस सफाई अभियान को अपने सफा हिमल कैंपेन के तहत अगले साल भी जारी रखेंगे।

कूड़े के ढेर में तब्दील हो गया था एवरेस्टः माउंट एवरेस्ट कूड़े के ढेर में तब्दील हो गया था। हर साल सैंकड़ों पर्वतारोही, शेरपा और भारवाहक एवरेस्ट की तरफ जाते हैं और अपने पीछे इस सबसे ऊंची चोटी पर टनों जैविक और अजैविक कूड़ा छोड़ आते हैं। काठमांडू वर्षों से 11,000 डॉलर देने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को एवरेस्ट पर चढ़ने का परमिट दे देता है। वह इसकी तस्दीक नहीं करता है कि व्यक्ति पर्वतारोही है भी या नहीं।

पर्वातारोहियों की संख्या सीमित करने पर विचारः दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वालों की बढ़ती संख्या और इस सीजन में हुई कई मौतों के बाद नेपाल चढ़ने वालों की संख्या को सीमित करना चाहता है। इसी सप्ताह खत्म हुए पर्वतारोहण सीजन में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि चढ़ाई करने वालों की बहुत ज्यादा संख्या को सिर्फ चार लोगों की मौत का कारण बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बाकी मौतों के लिए अनुभवहीनता जिम्मेदार है।

(भाषा से इनपुट्स के साथ)