भूकंप से प्रभावित नेपाल में आज मरने वालों की संख्या आज बढ़ कर 4,350 से ऊपर चली गयी जबकि घायलों की संख्या 8,000 से अधिक है। इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने स्वीकार किया है कि राहत एवं बचाव अभियान प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।

भूंकप प्रभावित नेपाल में भोजन, पानी, बिजली और दवाइयों की भारी कमी के कारण संकट मंडरा रहा है और दोबारा भूकंप आने की आशंका के कारण हजारों लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं।

नेपाल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शनिवार को आए जबर्दस्त भूकंप के बाद अभी तक कम से कम 4,300 शवों को बरामद कर लिया गया है। भूकंप के कारण 8,063 व्यक्ति घायल हुए हैं।


अधिकारियों ने कहा कि राजधानी काठमांडो और भूकंप से बेहद प्रभावित कुछ सुदूर पहाड़ी इलाकों में अभी भी सैकड़ों लोग भारी मलबों के नीचे दबे हुए हैं जिसके कारण मरने वालों की संख्या 5,000 के पार कर जाने की आशंका है। सरकार ने नौ जिलों को भूकंप से अत्यधिक प्रभावित इलाके घोषित किया है।

हताहत हुए लोगों की संख्या के आधार पर सिंधुपलचौक, काठमांडो, नुवाकोट, धदिंग, भक्तपुर, गोरखा, कावरे, ललितपुर और रासुवा सर्वाधिक प्रभावित जिले घोषित किए गए हैं।

Nepal Earthquake (Photo: AP)

सरकार ने कहा है कि कुल मिला कर 60 जिले भूकंप से प्रभावित हुए हैं। भूकंप में मारे जाने वालों में 923 लोग काठमांडो, 240 लोग भक्तपुर और 157 लोग ललितपुर के हैं जबकि शेष लोग काठमांडो घाटी के बाहरी इलाके से हैं।

इस बीच, प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने स्वीकार किया है कि बचाव, राहत और खोजबीन अभियान प्रभावी नहीं रहे हैं। उन्होंने राजनीतिक दलों से इस राष्ट्रीय आपदा के दौरान मिल कर काम करने का आह्वान किया है।

संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष नेमबांग की अध्यक्षता में कल बुलाई गई सभी पार्टियों की बैठक में कोईराला ने कहा कि भूकंप के बाद का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण है।

Nepal-Earthquake (Photo:AP)

‘माई रिपब्लिका’ ने कोईराला के हवाले से कहा है कि देशभर से सरकार को मदद के लिए अनुरोध किया जा रहा है। रसद और विशेषज्ञों की कमी के कारण कई स्थानों पर बचाव अभियान का विस्तार करना संभव नहीं हो सका।

Nepal-Earthquake (Photo:Rauters)

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार राहत वितरण और प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर गंभीर और संवदेनशील है। सरकार प्रभावित इलाकों में टेंट, पानी, दवाई, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवकों को भेजने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री ने लोगों से रक्तदान की भी अपील की।

भूकंप में घरों और भवनों के जमींदोज हो जाने के कारण और इसके बाद लगातार आने वाले तेज झटकों के कारण लोग प्लास्टिक से बने तंबुओं में रहने के लिए मजबूर हैं। ये तंबू उन्हें शहर में हुई बारिश एवं ठंड से ही बमुश्किल बचा पा रहे हैं।