मलेशिया के एक सांसद बुधवार को उस समय चर्चा में आ गए जब उन्होंने शारीरिक संबंध को लेकर एक विवादित बयान दिया। सांसद ने कहा कि महिला द्वारा पति को शारीरिक संबंध बनाने से मना करना मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक शोषण के दायरे में आता है। यहां की सत्ताधारी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले मुस्लिम सांसद चे मोहम्मद जुल्किफेली जुसुह ने यह बयान घरेलु हिंसा पर हो रही संसदीय बहस के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर पतियों को शारीरिक शोषण से ज्यादा भावनात्मक शोषण झेलना पड़ता है।
न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइजेशन के सदस्य और सांसद जुसुह ने कहा, “कहा जाता है कि शारीरिक क्षमता के मामले में पुरुष महिलाओं से ज्यादा मजबूत होते हैं। लेकिन ऐसे भी मामले हैं जब पत्नियां अपने पति को बुरी तरह से ठेस पहुंचाती हैं या उनका शोषण करती हैं। उन्होंने कहा कि जब भी पत्नियां शारीरिक संबंध बनाने के लिए या पति की शारीरिक जरूरतों के लिए इंकार करती हैं तो यह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक शोषण का ही एक रूप होता है।
प्रसिद्ध महिलाधिकार कार्यकर्ता मरीना महाथिर ने कहा कि सांसद का यह बयान उनकी अज्ञानता दिखाता है। मरीना ने कहा, “हर कोई जानता है कि महिलाओं को शारीरिक संबंध के लिए ‘ना’ कहने का अधिकार है। वो समय अब नहीं रहा जब महिला से शादी करने का मतलब उसके शरीर पर अपना कब्जा समझा जाता था। ऐसा बिलकुल नहीं है। महिला द्वारा सेक्स को मना करना पुरुष के लिए शोषण के समान कहना हास्यास्पद है।” 58 साल के मोहम्मद जुल्किफेली मलेशिया में मुस्लिम आबादी बाले राज्य तेरेंगनू से सांसद हैं। वो यह भी कह चुके हैं कि मुस्लिम शख्स की दूसरी पत्नी बनने से इंकार करना भी शोषण के समान होता है।