माउंट एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से में पूर्वी ढलान पर स्थित शिविरों में करीब 1000 पर्वतारोही फंस गए हैं। बर्फीले तूफान के कारण माउंट एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से के शिविरों में फंसे लगभग एक हजार लोगों को बचाने के लिए रविवार को बचाव अभियान जारी रहा। करीब 4,900 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र में बर्फबारी के कारण रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं, जिन्हें हटाने के लिए सैकड़ों स्थानीय ग्रामीणों और बचाव दल को तैनात किया गया है।

बीबीसी ने स्थानीय मीडिया के हवाले से बताया कि कुछ पर्यटकों को पहले ही बचा लिया गया है। बर्फबारी का यह दौर शुक्रवार शाम से शुरू हुआ और तिब्बत में माउंट एवरेस्ट के पूर्वी हिस्से में और तेज हो गया। चीनी सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के माउंट एवरेस्ट के पूर्वी ढलान पर स्थित शिविरों तक पहुंच को साफ करने के लिए रविवार को बचाव कार्य जारी है, जहां बर्फीले तूफान के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं।

Mount Everest: बर्फ हटाने में जुटे बचाव दल

जिमू न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 4,900 मीटर (16,000 फीट) से ज़्यादा ऊँचाई पर स्थित इस क्षेत्र में बर्फ़ हटाने में मदद के लिए सैकड़ों स्थानीय ग्रामीणों और बचाव दल को तैनात किया गया है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि पहाड़ पर मौजूद कुछ पर्यटकों को पहले ही नीचे उतारा जा चुका है। स्थानीय टिंगरी काउंटी पर्यटन कंपनी के आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर जारी नोटिस के अनुसार बर्फबारी शुक्रवार शाम से शुरू हुई और शनिवार को भी जारी रही। कंपनी ने बताया कि एवरेस्ट दर्शनीय क्षेत्र में टिकटों की बिक्री और प्रवेश शनिवार देर रात से निलंबित कर दिया गया है।

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माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई 8,849 मीटर से अधिक है, और इसे चीन में माउंट कोमोलांगमा कहा जाता है। यह इलाका पर्वतारोहियों के बीच काफी लोकप्रिय है। हर साल कई पर्वतारोही यहां चढ़ाई के लिए आते हैं लेकिन चरम मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह क्षेत्र हमेशा जोखिमपूर्ण रहता है।

नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन से 50 से ज्यादा लोगों की मौत

वहीं,पड़ोसी देश नेपाल में विभिन्न स्थानों पर मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ के चलते रविवार सुबह तक कम से कम 52 लोगों की मौत हो गई। सशस्त्र पुलिस बल (APF) के एक अधिकारी ने बताया कि सबसे अधिक प्रभावित कोशी प्रांत में बाढ़, भूस्खलन, बिजली गिरने और सड़क दुर्घटनाओं के कारण मरने वालों की संख्या में वृद्धि हुई। स्थानीय मीडिया ने जल विज्ञान और मौसम विज्ञान विभाग के हवाले से रविवार सुबह बताया कि शुक्रवार से लगातार हो रही बारिश के कारण पूर्वी नेपाल में आठ प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई हैं। साथ ही बागमती और पूर्वी राप्ती नदियों के आसपास के क्षेत्रों के लिए रेड अलर्ट भी जारी किया गया है।

एयर पोर्ट के अधिकारियों ने बताया कि रविवार सुबह आसमान साफ़ होने के बाद काठमांडू से घरेलू उड़ानें फिर से शुरू हो गईं। खराब मौसम के कारण शनिवार से सभी प्रांतों के लिए उड़ानें रोक दी गई थीं। नेपाल सेना, नेपाल पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के जवानों को विभिन्न क्षेत्रों में बचाव अभियान चलाने के लिए तैनात किया गया।

नेपाल सरकार ने रविवार को वर्षाजनित आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को तत्काल राहत के रूप में 2,00,000 नेपाली रुपये (एनआर) देने की घोषणा की। राष्ट्रीय आपदा एवं जोखिम न्यूनीकरण प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीआरआरएमए) के एक बयान में कहा गया है कि मृतकों के परिजनों को आर्थिक मुआवजा देने के अलावा, घायलों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हिमालयी राष्ट्र को मदद की पेशकश करते हुए कहा कि भारत हर प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “नेपाल में भारी बारिश के कारण हुई जान-माल की हानि और क्षति दुखद है। हम इस कठिन समय में नेपाल की जनता और सरकार के साथ हैं।”

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(इनपुट-भाषा)