अब तक जितने ग्रहों को रहने लायक समझा गया था ब्रह्मांड में उससे कहीं ज्यादा ऐसे ग्रह हैं जिनपर जीवन संभव है। एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है। अमेरिका के पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिर्विसटी के भूवैज्ञानिकों ने सुझाया है कि जीवन की माकूल स्थितियों के लिए लंबे समय तक जरूरी मानी गईं टेक्टॉनिक प्लेटें असल में आवश्यक नहीं हैं। रहने लायक ग्रहों या अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश के वक्त वैज्ञानिकों ने वायुमंडलीय में कार्बन डायआॅक्साइड के तत्वों को परखा। धरती पर वायुमंडलीय कार्बन डायआॅक्साइड ग्रीनहाउस प्रभाव के माध्यम से सतह के ताप को बढ़ाता है।
यूनिर्विसटी में भूविज्ञान के सहायक प्राध्यापक ब्रैडफोर्ड फोली ने कहा, ‘‘ज्वालामुखीय घटनाएं वायुमंडल में गैस स्रावित करती हैं और फिर चट्टानों की टूट-फूट के जरिए वायुमंडल से कार्बन डायआॅक्साइड खींची जाती है और जो बाद में अलग-अलग सतही चट्टानों और तलछट तक पहुंचती है।’’ फोली ने बताया, ‘‘इन दोनों प्रक्रियाओं के संतुलन से वायुमंडल में कार्बन डायआक्साइड एक निश्चित स्तर पर रहता है जो मौसम को संयमित रखने और जीवन के अनुकूल बनाने के लिए जरूरी है।’’ अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जिन ग्रहों में टेक्टॉनिक प्लेटें नहीं हैं वहां भी लंबे अरसे तक जीवन संभव है। यह अध्ययन एस्ट्रोबायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर रहने की संभावना तलाशी है। लेकिन कुछ दिन पहले ही नासा के वैज्ञानिकों ने इस दावे को पर पानी फेर दिया है। मैरीलैंड में स्थित नासा के गोर्डाड स्पेस सेंटर की जेनिफर एगनब्रोड का कहना है कि मंगल ग्रह पर पाए गए कार्बनिक अणु जीवन के विशिष्ट प्रमाण प्रदान नहीं करते हैं, क्योंकि वे ‘गैर-जैविक’ चीजों के हो सकते हैं।
जेनिफर के अनुसार, हालांकि किसी भी मामले में अणु मंगल ग्रह पर जीवन की निरंतर खोज में वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि हम जिस जीवन के बारे में जानते हैं, वह कार्बनिक अणुओं पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हालांकि मंगल की वर्तमान सतह में जीवन नहीं पनप सकता है। लेकिन संभवत: पहले कभी मंगल का वातावरण पानी या तरल पदार्थ को ग्रह की जमीन पर मौजूद रखने में सक्षम था।
भाषा के इनपुट के साथ।
