किसी के शरीर में अगर दिल का धड़कना बंद हो जाए तो भला वो कैसे जिंदा रह सकता है, लेकिन अगर ऐसी खबर आपको सुनने मिल जाए तो आपका चौंकना लामिजी है। जी हां, एक शख्स 1 साल से भी ज्यादा बिना दिल के जिंदगी की जंग लड़ रहा है और सांसे ले रहा है। दरअसल स्टेन लार्किन को एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिल बिना कोई वॉर्निंग दिए बंद हो जाता है। यही नहीं स्टेन के भाई को भी यही बीमारी है। ये दोनों काफी समय से दिल के डोनर का इंतजार कर रहे थे। लेकिन डोनर न मिलने के कारण उनका दिल निकालना पड़ा।
इस दौरान दोनों भाईयों के 13.5 पाउंड के वजन का एक बैकपैक यानी कृतिम दिल लगाया जो सीधे उनके कार्डियोवेसकुलर सिस्टम से जुड़ा था। इस यंत्र का इस्तेमाल जब किया जाता है जब हार्ट फेल हो जाता है। 25 साल के एक लड़के का हाल ही में फुल हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया लेकिन इससे पहले वह एक साल से भी ज्यादा यानी 555 दिनों तक बिना दिल के जीवित रहे। लार्किन ने कृत्रिम दिल के बावजूद बास्केटबॉल खेलकर डॉक्टर्स और सर्जन्स को चौंका दिया।
लार्किन के शरीर में डिवाइस की कामयाबी ने अन्य मरीजों के लिए भी इसे इस्तेमाल करने के रास्ते खोल दिए हैं। हार्ट फेल होने के बाद डोनर की तलाश में गुजरने वाले वक्त में इसे लगाकर जिंदगी बचाई जा सकती है। लार्किन और उनके भाई डोमिनिक में टीनेज रहते हुए ही इश वंशानुगत कार्डियोमायोपैथी के बारे में पता चला था। यह एक जेनेटिक हार्ट कंडीशन है जिसमें किसी वार्निंग के बगैर हार्ट फेल हो जाता है। ऐथलीट्स की मौत की यह अहम वजह होती है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी में फ्रांकेल कार्डियोवस्कुलर सेंटर के ट्रांसप्लांट सर्जन जोनाथन हाफ्ट का कहना है कि पहले दोनों ही भाईयों की हालत बेहद गंभीर थी और उन्हें गहन चिकित्सा केंद्र में रखा गया था। दोनों को दिल की आवश्यकता थी लेकिन कहीं से भी अरेंज नहीं हो सका। इसके बाद वहां के डॉक्टरों की टीम ने आधुनिक तकनीक से उनके दिलों से अलग एक डिवाइस तैयार करने में कामयाबी हासिल की। स्टान के छोटे भाई को डोनर 2015 में ही मिल गया हालांकि स्टान को 2016 में जाकर डोनर मिला। अब दोनों भाई बिल्कुल सामान्य हैं और अपनी जिंदगी बिता रहे हैं।