अरब देश लेबनान में इन दिनों बड़े स्तर पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग सड़कों पर उतर गए हैं और देश के कई हिस्सों में कानून व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। दरअसल इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत लेबनान सरकार द्वारा व्हाट्सएप कॉल पर टैक्स लगाने के ऐलान के साथ हुई थी। लेबनान सरकार की योजना थी कि वह प्रत्येक व्यक्ति की दिन की पहली व्हाट्सएप कॉल पर 20 सेंट का टैक्स लगाएगी।
फॉर्च्यून रिपोर्ट्स की एक खबर के अनुसार, लेबनान सरकार इन दिनों भारी आर्थिक संकट से गुजर रही है और यही वजह है कि इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए ही लेबनान सरकार ने देश की जनता पर कई नए टैक्स लगाने का फैसला किया था। इन्हीं में व्हाट्सएप कॉल पर टैक्स लगाने का फैसला भी शामिल था।
इसके साथ ही सरकार ने वैट, गैसोलीन पर भी टैक्स बढ़ा दिया। जिससे लोगों का गुस्सा भड़क गया और वह सड़कों पर उतर गए। इस दौरान लोग सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं और सत्ता परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। लेबनान की राजधानी बेरुत में इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत हुई और अब यह धीरे-धीरे पूरे देश में फैल चुके हैं।
हालांकि विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार ने बढ़े हुए टैक्स के फैसले को वापस ले लिया है, लेकिन लोगों का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है और लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कई इलाकों में सड़कें जाम हो गई हैं और लोग देशभक्ति गीत गाते हुए सड़कों पर जमा हैं। खास बात ये है कि इन विरोध प्रदर्शनों का किसी व्यक्ति या किसी संगठन द्वारा नेतृत्व नहीं किया जा रहा है और लोग अपने आप सड़कों पर उतर रहे हैं।
बता दें कि लेबनान की अर्थव्यवस्था इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है और देश पर काफी कर्ज है। साल 1990 में खत्म हुई सिविल वॉर के चलते लेबनान में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं हो पाया और बड़ी संख्या में लोग आज भी बिजली, पानी और सड़कों जैसी बुनियादी जरुरतों से महरुम हैं। लोग अब पूरी राजनैतिक व्यवस्था में ही बदलाव की मांग कर रहे हैं। कुछ जगहों पर ये विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हुए हैं और इनमें कई लोग घायल हुए हैं।