कम होती आबादी से परेशान जापान ने मांओं के लिए नई सुविधाएं शुरू करने का फैसला किया है। इसके तहत डे केयर सेंटर्स की संख्या बढ़ाई जाएगी और बच्चा पैदा होने के बाद कर्मचारियों को छुट्टियां देने में उदारता बरती जाएगी। जापान की आबादी न केवल कम हो रही है, बल्कि तेजी से उम्रदराज भी हो रही है। ऐसे में कामकाजी लोगों की कमी के साथ-साथ घरेलू बाजार का आकार भी लगातार घट रहा है। यह अर्थव्यवस्था की उच्च विकास दर और निजी क्षेत्र में निवेश के लिहाज से नकारात्मक असर डालने वाली स्थिति है। इसीलिए सरकार के लिए इससे निपटना बड़ी प्राथमिकता बन गई है।
प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने तीन साल पहले पद संभालने के बाद सुधारात्मक कदम उठाए थे। इसे ‘आबेनोमिक्स’ नाम दिया गया था। इसके पहले चरण में रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूत किया गया और कंपनियों की कमाई बढ़ाई गई। आबे ने कैबिनेट की मीटिंग के बाद गुरुवार को बताया, ‘आबेनोमिक्स के दूसरे चरण में अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए बच्चों की देखभाल और कल्याण से जुड़ी योजनाओं को उन्नत किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि इनके अलावा संपत्तियों के नए सिरे से बंटवारे पर भी जोर होगा, ताकि लोगों की यह शिकायत कम की जा सके कि सरकार की योजनाओं से उन्हें फायदा नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री दफ्तर के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि अगले साल संसद के सत्र में दस से ज्यादा विधेयक रखे जाएंगे। इनका मकसद जन्म दर (प्रति महिला) मौजूदा 1.42 से बढ़ा कर 1.8 करना होगा। साथ ही, उम्रदराज लोगों की देखभाल की योजनाएं भी बेहतर बनाई जाएंगी। गर्भवती महिलाओं के साथ ज्यादती नहीं हो, इसका भी इंतजाम किया जाएगा। पिछले साल तब यह बड़ा मुद्दा बन गया था, जब एक गर्भवती महिला को उसके अधिकारियों ने डिमोट कर दिया था। इसके खिलाफ वह कोर्ट चली गई थी। कोर्ट में उसे आंशिक जीत मिल गई थी। उसके बाद से गर्भवती महिलाओं को कंपनियां नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करती रही हैं और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री आबे की योजना जापान की जनसंख्या को भी कम से कम दस करोड़ पर बनाए रखने की है। अभी यह करीब 13 करोड़ है।