जापान में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं, उसकी तीव्रता 7.1 बताई जा रही है। झटके इतने तेज रहे हैं कि सुनामी का हाई अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। अब जापान में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है, जैसी वहां की भौगौलिक स्थिति है, हर साल इसी तरह से धरती हिलती भी है और कई लोगों की जान भी चली जाती है। समय के साथ जापान ने ऐसा विकास जरूर किया जो उसे अब भूकंप के बड़े नुकसानों के बचाता है।
इस भूकंप की बात करें तो झटके जापान के क्यूशु और शिकोकू द्वीपों पर महसूस किए गए हैं। इसके अलावा कई तटीय इलाकों में भी भूकंप का असर देखने को मिला है। बड़ी बात यह है कि क्यूशु के मियाजाकी में तो समुद्र का रौद्र रूप दिखा है, 20 सेंटीमीटर ऊंची लहरों ने खौफ पैदा किया है। अभी किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है।
कब आता है भूकंप?
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है। जब भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है। भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं और एक दूसरे से रगड़ खाती हैं। फ्रिक्शन के कारण धरती डोलने लगती है। कई बार धरती फट भी जाती है। वहीं कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं। इन्हें आफ्टरशॉक भी कहते हैं।
कितनी तबाही लाता है भूकंप?
रिक्टर स्केल असर 0 से 1.9 सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है। 2 से 2.9 हल्का कंपन। 3 से 3.9 कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर। 4 से 4.9 खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं। 5 से 5.9 फर्नीचर हिल सकता है। 6 से 6.9 इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। 7 से 7.9 इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं। 8 से 8.9 इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं। 9 और उससे ज्यादा पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी आ सकती है।