यरूसलम की अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली पुलिस के नमाजियों पर हमला किए जाने के बाद अरब लीग ने इस मुद्दे पर एक इमरजेंसी बैठक बुलाने की बात कही है। इजरायली पीएम ने बुधवार (5 मार्च) दोपहर एक बयान जारी कहा कि उनकी सरकार तनाव को शांत करने का पूरा प्रयास कर रही है। मस्जिद के भीतर पुलिस के हमले में 12 फिलिस्तीनी घायल हो गए हैं।
अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घीट (Ahmed Aboul Gheit) ने एक बयान में कहा “इजरायल सरकार का यह चरमपंथी व्यवहार हर बार इस तरह का टकराव पैदा करेगा,इसे रोका जाना चाहिए”
फिलिस्तीनी अधिकारियों के मुताबिक कम से कम 400 फिलिस्तीनियों को बुधवार को गिरफ्तार किया गया और इजरायल की हिरासत में रखा गया है। उन्हें कब्जे वाले पूर्वी येरुशलम के अटारोट में एक पुलिस स्टेशन में रखा गया है।
क्या कहते हैं फिलिस्तीनी नागरिक?
मस्जिद में मौजूद फिलिस्तीनी नागरिकों के मुताबिक इजरायली पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान स्टन ग्रेनेड और आंसू गैस का भी उपयोग किया और नामजियों को डंडों और राइफलों से पीटा गया है।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में लिए गए 24 वर्षीय छात्र बकर ओवैस ने कहा, “हम अल-अक्सा में इतिकाफ [मुस्लिम धार्मिक पूजा] कर रहे थे क्योंकि यह रमजान है। सेना ने मस्जिद की ऊपरी खिड़कियां तोड़ दीं और हम पर स्टन ग्रेनेड फेंकना शुरू कर दिया, उन्होंने हमें जमीन पर लिटा दिया। हमारे हाथ बांधे गए। वह हमें गंदी गालियां दे रहे थे। वहां मौजूद कुछ लोगों का दावा है कि पुलिस ने घायलों को अस्पताल जाने से भी रोका और ऐसा करने से मना किया।
एक बुजुर्ग महिला ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि “मैं एक कुर्सी पर बैठी क़ुरान पढ़ रही थी। इस दौरान उन्होंने स्टन ग्रेनेड फेंके, उनमें से एक मेरी छाती पर लगा, यह बताते हुए वह रोने लगी, वह पूरी तरह घायल हालत में वहां मौजूद थी।
इजरायली पुलिस का बयान
इजरायली पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा कि नकाबपोश आंदोलनकारियों ने लाठियों और पत्थरों से पुलिस पर हमला किया और खुद को मस्जिद के अंदर बंद कर लिया, जिसके बाद पुलिस को मस्जिद में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बयान में कहा गया है, “जब पुलिस ने प्रवेश किया, तो उन पर पत्थर फेंके गए”। इजरायली पीएम ने कहा कि वह तनाव को शांत करने के लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं।