साल 2023 ने दुनिया को कई ऐसे बड़े झटके दिए जिसका असर कई देशों पर पड़ा। इस एक साल ने कई युद्ध देख लिए जो अभी तक जारी हैं और भारी तबाही भी देखने को मिल चुकी है। बात चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध की हो या हो इजरायल हमास की, कई महीनों से तबाही का मंजर जारी है।

इजरायल-हमास जंग

इजरायल और हमास के बीच में पिछले दो महीने से भीषण जंग जारी है। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और ये युद्ध अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस समय गाजा में जमीनी स्तर पर ये लड़ाई और ज्यादा विस्फोटक हो चुकी है। इजरायल का एक ही उदेश्य चल रहा है- हर कीमत पर हमास का खात्मा। वो बिना उसके इस युद्ध को रोकने के मूड में नहीं है।

असल में सात अक्टूबर को सबसे पहले हमास ने इजरायल के आम नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था। कई लोगों का तो अपरहण भी किया गया था, इसमें सेना के जवान भी शामिल रहे। उस हमले के बाद ही इजरायल ने बदले की कसम खाई और देखते ही देखते एक भीषण युद्ध की शुरुआत हो गई। अभी इस युद्ध दोनों तरफ से काफी नुकसान हो चुका है, हजारों लोगों की मौत हुई है और स्थिति हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा बिगड़ रही है।

रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस और यूक्रेन के बीच में एक साल बाद भी युद्ध जारी है। ये युद्ध अब शुरुआती दिनों जितना विस्फोटक तो नहीं बचा है, लेकिन अलग-अलग फ्रंट पर लड़ाई जारी है। यूक्रेन के लिए चिंता की बात ये है कि अब उसके पास हथियारों की सप्लाई तेजी से नहीं हो पा रही है। पहले जरूर अमेरिका से लेकर यूरोप के कई देश मदद के लिए आगे आ रहे थे, लेकिन अब मामला ठंडा पड़ चुका है। वहीं दूसरी तरफ रूस का दावा है कि उसकी सैन्य ताकत और ज्यादा मजबूत होती जा रही है। इस बीच इजरायल-हमास के युद्ध ने भी रूस-यूक्रेन से दुनिया की नजर हटा दी है, इसका असर दोनों ही देशों पर पड़ता दिख रहा है।

आर्मेनिया और अजरबैजान का युद्ध

आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच भी इस साल फिर एक बार जंग शुरू हो गई। इस साल सितंबर में तनाव दोनों देशों के बीच फिर चरम पर पहुंच गया और दोनों तरफ से गोलीबारी की गई। यहां ये समझना जरूरी है कि दोनों ही देशों के बीच में 4400 वर्ग किलोमीटर में फैले नागोर्नो-काराबाख के कब्जे को लेकर विवाद चल रहा है। असल में 1991 में इस इलाके ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित कर दिया था और फिर खुद को आर्मेनिया का हिस्सा बताया। अब उसी हिस्से को लेकर समय-समय पर दोनों देश एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। हजारों लोगों की इस वजह से मौत भी हो चुकी है।