Israel Hams Ceasefire: इजराइल और हमास के बीच लंबे समय से जारी युद्ध सीजफायर समझौते के तहत एक शांति की उम्मीद का संकेत दे रहा है। इजराइल ने करीब 90 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा कर दिया है। यह समझौता रविवार को लागू हुआ। इसके बदले में फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह ने करीब 15 महीने पहले पकड़े गए तीन इजराइली बंधकों को रिहा कर दिया है।
7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में घुसपैठ के दौरान हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों पर वैश्विक स्तर पर आक्रोश है। हालांकि इजरायल में जेलों और सैन्य सुविधाओं में विवादास्पद हिरासत कानून के तहत बंद फिलिस्तीनियों के बारे में बहुत कम जानकारियां सामने आई हैं। युद्ध विराम समझौते के तहत इजरायल को हमास के साथ अनुमानित 100 इजरायली और विदेशी बंधकों के बदले लगभग 2,000 कैदियों की अदला-बदली होने की उम्मीद है।
रिहा हुए 90 फिलिस्तीनी में कौन-कौन?
रविवार को इजरायल द्वारा रिहा किए गए 90 कैदियों के पहले समूह में 69 महिलाएं और 21 युवा लड़के शामिल थे। रिहा किए गए लोगों में 62 वर्षीय खालिदा जरार भी शामिल थीं, जो फिलिस्तीन मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा (पीएफएलपी) की प्रमुख सदस्य थीं। यह समूह एक धर्मनिरपेक्ष वामपंथी गुट है, जो 1970 के दशक में इजरायल के खिलाफ हमलों में शामिल था और हवाई जहाज अपहरण के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि पीएफएलपी ने 7 अक्टूबर के हमलों में हमास के साथ भाग लिया था।
2023 में किया था खालिदा जरार
न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, जरार को 2023 के अंत में इज़राइल द्वारा गिरफ्तार किया गया था और अनिश्चित काल के लिए प्रशासनिक हिरासत में रखा गया था। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायल के न्याय मंत्रालय ने डील के पहले चरण में रिहा किए जाने वाले 734 और कैदियों की सूची भी जारी की है।
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इजरायली प्रताड़ना का करना पड़ा सामना
इनमें से 230 हाई-प्रोफाइल लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 734 कैदियों में 2023 में युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में हिरासत में लिए गए 1,167 फिलिस्तीनी भी शामिल हैं। इनमें से कई कैदी दशकों से हिरासत में हैं। 1993 का समझौता अरब-इजरायल शांति प्रक्रिया का हिस्सा था, जिसके तहत इजरायल ने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को फिलिस्तीनियों के औपचारिक प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी। बदले में पीएलओ ने आतंकवादी गतिविधियों को त्याग दिया। हालांकि, 2000 के अंत तक शांति वार्ता विफल हो गई।
मानवाधिकार निकायों और विशेषज्ञों ने इजरायल के प्रशासनिक हिरासत कानून की आलोचना की है, जो उसे लोगों को बिना किसी मुकदमे के अनिर्दिष्ट अवधि के लिए कैद करने की अनुमति देता है। यह नियम आपातकालीन शक्तियों (हिरासत) कानून के तहत इजरायली नागरिकों पर लागू होता है। इसका इस्तेमाल कब्जे वाले क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों पर किया गया है।
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सेना के आदेश पर कैद किए जाते हैं बंदी
इज़रायली गैर-लाभकारी मानवाधिकार संस्था बीसेलम के अनुसार, प्रशासनिक हिरासत के तहत, बंदी के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जाती है। व्यक्ति को गोपनीय साक्ष्य के आधार पर सेना के आदेश पर कैद किया जाता है, जिसे बंदी को खुद नहीं बताया जाता है। कानून एक सैन्य कमांडर को किसी व्यक्ति को छह महीने तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है यदि कमांडर के पास यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि क्षेत्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के कारणों से किसी निश्चित व्यक्ति को हिरासत में रखा जाना आवश्यक है।
कमांडर हिरासत को छह महीने के लिए और बढ़ा सकता है। कानून में किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने की कुल अवधि के लिए कोई शर्त नहीं है। 2005 में इस क्षेत्र से हटने के बाद से इजरायल गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के खिलाफ विवादास्पद हिरासत कानून (यूसीएल) भी लागू कर रहा है।
यह कानून 2002 में अस्तित्व में आया और इजरायली सेना को किसी भी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने की अनुमति देता है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल राज्य के खिलाफ शत्रुतापूर्ण गतिविधि में भाग लेता है, या इजरायल राज्य के खिलाफ शत्रुतापूर्ण गतिविधि में लगे बल से संबंधित है”। 7 अक्टूबर, 2023 के हमलों के बाद से यूसीएल में दो बार संशोधन किया गया है। इजरायल हमास के बीच अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।