ईरान ने शुक्रवार रात को इजरायल पर जवाबी हवाई हमले किए, जिसमें देश के दो सबसे बड़े शहरों यरुशलम और तेल अवीव में विस्फोटों की आवाज सुनी गई। ईरानी अधिकारियों ने जवाबी हमले को ‘ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट’ नाम दिया। इसका मकसद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और सैन्य ठिकानों पर इजरायली हमले का जवाब देना था। वहीं, इजरायली सेना ने कहा कि उसका एयर डिफेंस सिस्टम ईरानी मिसाइलों को रोकने के लिए पूरी तरह से एक्टिव है। इजरायली सेना ने कहा, ‘पिछले एक घंटे में ईरान की ओर से इजरायल पर दर्जनों मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से कुछ को रोक दिया गया।’ इतना ही नहीं सेना ने यह भी कहा कि बचाव दल देश भर में कई जगह पर काम कर रहा है।
ट्रंप की वॉर्निंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दो महीने पहले ईरान को परमाणु समझौता करने के लिए 60 दिन का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन उसने इसका पालन नहीं किया। ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा, “आज 61वां दिन है। मैंने उन्हें बताया कि क्या करना है, लेकिन वे वहां तक नहीं पहुंच पाए। अब उनके पास शायद दूसरा मौका है।” बता दें कि ट्रंप ने ईरान के वार्ता की टेबल पर लौटने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते।
कुछ और हमले होने वाले हैं: ईरान ने इजरायली हमले का करारा जवाब देने की कसम खाई है , जबकि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अभी और हमले होने वाले हैं। एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि तेहरान ऐसे किसी भी देश के क्षेत्रीय ठिकानों को निशाना बनाएगा जो इजरायल की रक्षा करने की कोशिश करेगा।
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डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह इस बात को लेकर “चिंतित नहीं” हैं कि इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य और परमाणु स्थलों को निशाना बनाकर नष्ट कर दिए जाने तथा उसके शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों और कमांडरों की हत्या कर दिए जाने के बाद क्षेत्रीय युद्ध छिड़ सकता है।
इजरायली सेना और राष्ट्रीय आपातकालीन सेवा मैगन डेविड एडोम (एमडीए) के अनुसार, ईरान से मध्य और उत्तरी इजरायल की ओर दो बड़े हमलों में लगभग 100 मिसाइलें दागी गईं, जिससे काफी नुकसान हुआ और 41 लोग घायल हो गए। एमडीए ने बताया कि दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, दो मामूली रूप से, चार हल्के-मध्यम रूप से, जबकि शेष व्यक्तियों को हल्की चोटें या घबराहट के दौरे सहित आघात-संबंधी लक्षण दिखाई दिए।
दक्षिण अफ्रीका ने ईरान पर इजरायल के हमलों की निंदा की है और मध्य पूर्व में तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज करने का आह्वान किया है। अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सहयोग विभाग (DIRCO) ने शुक्रवार रात जारी एक बयान में कहा, “दक्षिण अफ्रीका 13 जून, 2025 को ईरान के भीतर लक्ष्यों पर इजरायल द्वारा किए गए हमलों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त करता है, जिसमें सैन्य क्षेत्रों, परमाणु सुविधाओं और नागरिक बुनियादी ढांचे पर कथित प्रभाव शामिल हैं। सैन्य कर्मियों के साथ-साथ नागरिक हताहतों की रिपोर्टें बेहद परेशान करने वाली हैं।”
लंदन स्थित समाचार आउटलेट ईरान इंटरनेशनल ने रिपोर्ट दी है कि ईरानी वायु रक्षा प्रणाली, इस्फ़हान शहर पर हमला करने वाले इज़रायली प्रक्षेपास्त्रों की एक नई लहर को मार गिराने का प्रयास कर रही है।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने पर एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि “ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से गंभीर चिंता का कारण रहा है और इजरायल में उसके मिसाइल हमले क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं।” कार्नी ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र की स्थिति पर अद्यतन जानकारी प्राप्त करने के लिए अपनी सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई।
एंटोनियो गुटेरेस ने इजरायल द्वारा ईरान पर बमबारी और तेल अवीव को निशाना बनाकर किए जा रहे ईरानी मिसाइल हमलों को रोकने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक्स पर लिखा, “अब रुकने का समय आ गया है। शांति और कूटनीति कायम रहनी चाहिए।”
चीन के संयुक्त राष्ट्र दूत फू कांग ने कहा कि देश ईरान की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के इजरायल के उल्लंघन की निंदा करता है और इजरायल से सभी जोखिमपूर्ण सैन्य कार्रवाइयों को तुरंत रोकने का आग्रह करता है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने देश को दिए गए एक रिकॉर्डेड संबोधन में इजरायली हमलों का बदला लेने का वादा किया, यह उसी समय हुआ जब ईरानी मिसाइलें इजरायल की ओर दागी जा रही थीं। खामेनेई ने कहा कि सेना जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “यह मत समझिए कि उन्होंने हमला कर दिया और यह खत्म हो गया। नहीं, उन्होंने कार्रवाई शुरू की और संघर्ष शुरू किया। हम उन्हें उनके द्वारा किए गए इस महत्वपूर्ण गलत काम के परिणामों से बचने की अनुमति नहीं देंगे।’
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को कहा कि मध्य पूर्व में फ्रांस के सैन्य बल इजरायल सहित क्षेत्र में साझेदारों की रक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन वे ईरान पर किसी भी हमले में भाग नहीं लेंगे।
