लीबिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के हाथों मिस्र के 21 ईसाईयों के सिर सामूहिक रूप से कलम होते दिखाने वाले वीडियो पर देश की सेना ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए आज इस खूंखार संगठन के प्रशिक्षण शिविरों पर बमबारी शुरू कर दी।
पांच मिनट के इस भयावह वीडियो में दिखाया गया है कि लीबिया की राजधानी त्रिपोली के पास एक समुद्री तट पर संतरी रंग के जंपसूट पहने बंधकों के हाथ बंधे हुए हैं और काले नकाब पहने आतंकी उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं।
वीडियो के एक अंश के अंत में एक आतंकी कहता है, ‘‘जिस समुद्र में तुमने शेख ओसामा बिन लादेन को दफना दिया था, अल्लाह कसम, उसी समुद्र के पानी को तुम्हारे खून से रंग देंगे।’’
लीबिया से एक माह पहले अपहृत हुए इन 21 मिस्रवासियों की हत्या से ये आशंकाएं बढ़ गई हैं कि इस्लामिक आतंकी समूह ने दक्षिणी इटली के पास एक प्रत्यक्ष संबद्ध संगठन तैयार कर लिया है।
इसी आशंका की ओर इशारा करते हुए एक आतंकी वीडियो में कहता है कि समूह अब ‘रोम पर फतह’ हासिल करने की योजना बना रहा है।
इस चरमपंथी समूह द्वारा अपने नियंत्रण क्षेत्र सीरिया और इराक से बाहर की गई सिर कलम करने की ये घटनाएं अपनी तरह की पहली घटनाएं हैं और मिस्र में इन हत्याओं की तत्काल एवं कड़ी निंदा की गई है।
मिस्र की सेना ने आज एक बयान में घोषणा की कि उसने लीबिया में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं और इनमें प्रशिक्षण शिविर और हथियारों के भंडारकेंद्र भी शामिल हैं।
अपने वक्तव्य के दौरान सिसी ने मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं जाहिर कीं। इसके साथ ही उन्होंने सरकार को आदेश दिए कि वह मिस्रवासियों की लीबिया यात्रा पर प्रतिबंध लगाए और वहां मौजूद अन्य लोगों की वापसी में मदद करे।
सिसी ने कार्रवाई पर फैसला लेने के लिए मिस्र की शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा संस्था की एक आपात बैठक बुलाई। उन्होंने विदेश मंत्री से यह भी कहा कि वे न्यूयॉर्क जाएं और ‘आतंकवाद से लड़ाई’ सम्मेलन में शिरकत करें। दिन में पहले, मिस्र ने इन हत्याओं पर सात दिन की शोक अवधि की घोषणा की थी।
मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी एमईएनए ने कॉप्टिक चर्च के प्रवक्ता के हवाले से कहा था कि आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाए गए मिस्र के 21 ईसाईयों की संभवत: मौत हो गई है।
सुन्नी इस्लाम की शीर्ष संस्था अल-अजहर ने सिर काटने की इस ‘क्रूरता’ की निंदा की है। अल-अजहर ने कल जारी बयान में कहा, ‘‘अल-अजहर को कल मासूम मिस्रवासियों के एक समूह की हत्याओं की खबर मिली, जिसे सुनकर बहुत दुख हुआ।’’
मिस्र के कॉप्टिक ईसाई मध्यपूर्व में सबसे बड़ा ईसाई समुदाय है और इनकी संख्या मिस्र की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत है।
वर्ष 2011 के विद्रोह के बाद से हजारों मिस्रवासी काम के लिए लीबिया चले गए थे। हालांकि उनकी सरकार ने उन्हें उस देश से दूर ही रहने की सलाह दी थी।