पठानकोट पर हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की ताकतवर खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। एजेंसी ने 15 साल पहले बनाए गए एक आतंकी संगठन के जरिए ये हमला कराया। वाइट हाउस में कभी बड़ा ओहदा रखने वाले एक पूर्व अफसर ने यह दावा किया है। वाइट हाउस के नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल के लिए काम कर चुके ब्रूस रिडेल ने कहा कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के आकस्मिक पाक दौरे के बाद दोनों देशों के बीच नजदीकी पैदा होने को रोकने के मकसद से यह हमला डिजाइन किया गया था। रिडेल के मुताबिक, 90 के दशक से ही भारत से तनाव कम करने के हिमायती रहे नवाज शरीफ पर पाक आर्मी ने लंबे वक्त से भरोसा करना छोड़ दिया है। डेली बीस्ट के लिए लिखे एक आर्टिकल में रिडेल ने कहा, ”1999 में तख्तापलट के बाद नवाज शरीफ को दशकों तक सऊदी अरब में निर्वासित जीवन जीना पड़ा। क्रिसमस के दौरान उनकी और मोदी की लाहौर में नजदीकी ने पाक आर्मी के जनरलों को नाराज कर दिया।” बता दें कि रिडेल उन चंद अफसरों में शामिल हैं, जो 1999 में कारगिल की जंग के दौरान बिल क्लिंटन और नवाज शरीफ की मुलाकात के दौरान मौजूद थे। वे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए से भी जुड़े रहे हैं।
रिडेल ने लिखा है कि पठानकोट और उत्तरी अफगानिस्तान के इंडियन कौंसुलेट पर हुए हमलों के पीछे पाक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का हाथ है। इस संगठन को पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 15 साल पहले बनाया था। रिडेल ने ये दावा कुछ सूत्रों और प्रेस से मिली जानकारी के आधार पर किया है। उनका कहना है कि आईएसआई पाक मिलिट्री के जनरल के अंतर्गत आती है और इसमें कई आर्मी अफसर भी हैं। इस तरह से जासूसों को पाक फौज नियंत्रित करती है। वह पाक फौज जो अपने बड़े बजट और न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम की वजह भारत से खतरे को बताते आए हैं। रिडेल ने कहा, ”भारत और पाक के बीच तनाव में कमी आने पर पाक आर्मी के देश की सिक्युरिटी पॉलिसी पर से नियंत्रण कम होगा। पाक आर्मी लगातार अमेरिकी नेताओं की नसीहत के बावजूद सालों से अच्छे आतंकी और बुरे आतंकी जैसी बातों को मान्यता देते आए हैं। अच्छे आतंकी यानी जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा, वहीं बुरे आतंकी मतलब पाकिस्तान तालिबान।”
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