राष्ट्रपति जोको विदोदो ने मंगलवार (16 अगस्त) को इंडोनेशिया की जमीन और समुद्री इलाके के ‘एक एक इंच’ की रक्षा का संकल्प लिया। विदोदो का यह बयान दक्षिण चीन सागर में इंडोनेशिया के द्वीपों के इर्द-गिर्द चीनी जहाजों के आने के बाद संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होने की पृष्ठिभूमि में आया है। राजधानी में दिए गए इस संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि सागर में द्वीपों के मालिकाना हक को लेकर क्षेत्रीय सीमा विवादों के शांतिपूर्ण हल के लिए इंडोनेशिया ‘सक्रिय भागिदारी’ निभा रहा है। विदोदो ने नातुना द्वीप समूहों और इसके इर्द-गिर्द के संसाधन युक्त जल क्षेत्र में इंडोनेशिया की संप्रभुता ऐसे समय जताई है जब बीजिंग और जकार्ता के बीच कई संघर्षों के बाद सागर क्षेत्र को लेकर तनाव बना हुआ है। टेलीविजन के जरिए दिए गए संबोधन में उन्होंने सीधे चीन को संबोधित नहीं किया है हालांकि कहा है, ‘हम एंटीकांग, नातुना और आत्माबुआ जैसे क्षेत्रों को विकसित कर रहे हैं ताकि दुनिया इंडोनेशिया को एक बड़े राष्ट्र के रूप में देख सके। इसकी भूमि और जल क्षेत्र के एक-एक इंच का ध्यान रखा जाएगा।’
एंटीकांग और आत्माबुआ इंडोनेशिया के दूर दराज के इलाके हैं और इनकी सीमा मलेशिया तथा पूर्वी तिमोर से लगती है। दक्षिण चीन सागर पर दूसरे दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों की तुलना में इंडोनेशिया का रुख ठीक विपरीत रहा है। उसने हमेशा से यही कहा है कि दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के साथ उसका कोई विवाद नहीं है और उसने किसी क्षेत्र पर अपना अधिकार भी नहीं जताया है। लेकिन चीन ने नातुना द्वीप समूह के इर्द-गिर्द इंडोनेशिया के विशेष आर्थिक क्षेत्र तथा यहां के जल संसाधन पर भी अपना दावा जताया जहां के संसाधनों के दोहन का अधिकार इंडोनेशिया को है। इसके बाद वहां इंडोनेशिया के गश्ती जहाजों और नौसेना नौकाओं तथा चीन के मछुआरों के जहाजों तथा तटरक्षकों के बीच संघर्ष बढ़ गए थे।
