भारत ने शुक्रवार को नाइजर में रहने वाले अपने नागरिकों को तख्तापलट प्रभावित देश को जल्द से जल्द छोड़ने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, जिन भारतीय नागरिकों की उपस्थिति आवश्यक नहीं है, उन्हें जल्द से जल्द देश छोड़ने की सलाह दी जाती है।
नाइजर छोड़ने की दी गई सलाह
नाइजर में मौजूदा स्थिति के कारण हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने लोगों को सलाह दी है कि जमीन के रास्ते यात्रा करते समय विशेष सावधानी बरतने। इसी तरह अरिंदम बागची ने नाइजर की यात्रा की योजना बना रहे लोगों को भी अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करने की सलाह दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भूमि सीमा से प्रस्थान करते समय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतें। जो लोग आने वाले दिनों में नाइजर की यात्रा की योजना बना रहे हैं, उन्हें भी स्थिति सामान्य होने तक अपनी यात्रा योजनाओं पर पुनर्विचार करने की सलाह दी जाती है।”
नाइजर में हुआ है तख्तापलट
नाइजर 26 जुलाई से संकट से जूझ रहा है। देश की सेना ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को हटा दिया। ये तीन वर्षों में पश्चिम और मध्य अफ्रीका में सातवां तख्तापलट है। नाइजर दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। लेकिन साहेल क्षेत्र में इस्लामी आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम का एक प्रमुख सहयोगी है। इस्लामी विद्रोह के खिलाफ लड़ाई के लिए अमेरिकी, फ्रांसीसी, जर्मन और इटली के सैनिक नाइजर में तैनात हैं।
नाइजर में सैन्य तख्तापलट के बाद पहले से ही अशांत और आतंक से प्रभावित साहेल क्षेत्र में एक बड़ी अशांति पैदा हो गई है। नाइजर के पड़ोसी बुर्किना फासो और माली भी इसी तरह के सैन्य तख्तापलट के बाद इकोवास संगठन से निलंबित किए जा चुके हैं। इन दोनों देशों को चेतावनी देते हुए इकोवास ने कहा कि अगर नाइजर के खइलाफ कोई सैन्य हमला किया गया तो यह उनके देशों के खिलाफ भी युद्ध की घोषणा के समान होगा। गिनी ने भी तख्तापलट पर नाइजर के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के लिए इकोवास की निंदा की है।
