भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्‍यता के लिए स्विट्जरलैंड का साथ मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए स्विस राष्‍ट्रपति को धन्‍यवाद दिया है। ताकतवर देशों के इस खास समूह की बैठक के ठीक पहले स्विट्जरलैंड का समर्थन भारत के लिए राहत देने वाला है। मगर चीन ने NSG में भारत की एंट्री पर आम सहमति बनाने पर जोर दिया है।

सोमवार को स्विट्जरलैंड के राष्‍ट्रपति जोहान स्‍कींडर-अमान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गहन चर्चा के बाद घोषणा कि उनका देश 48 सदस्‍यों वाले NSG में भारत को शामिल किए जाने के प्रस्‍ताव का समर्थन करेगा। दूसरी तरफ, अमेरिका ने भी भारत की सदस्‍यता का पुरजोर समर्थन किया है। लेकिन चीन ने सदस्‍य देशों के बीच आम सहमति बनाने पर जोर दिया है।

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चीन का मानना है कि ऐसे देशों को NSG में शामिल करने में ऐहतियात बरता जाना चाहिए जिन्‍होंने अप्रसार संधि (NPT) पर हस्‍ताक्षर नहीं किए हैं। भारत ने NPT को भेदभावपूर्ण बताते हुए हस्‍ताक्षर नहीं किए हैं। चीन का तर्क है कि अगर NSG भारत को अपवादस्‍वरूप सदस्‍य बनाने को तैयार है, तो उसे पाकिस्‍तान को भी सदस्‍य बनाना चाहिए।

भारतीय अधिकारियों को उम्‍मीद है कि चीन-अमेरिका के बीच बातचीत में इस मसले का हल निकल आएगा। 9 जून को विएना में और 24 जून को सियोल में NSG के सदस्‍य देशों की बैठक होनी है, इसी दौरान भारत की सदस्‍यता का मुद्दा उठने की संभावना है।