भारत एवं इस्राइल ने अपनी बढ़ती नजदीकियों का परिचय देते हुए अपनी पहले से ही करीबी रक्षा भागीदारी को और व्यापक बनाने तथा कट्टरवाद एवं चरमपंथ से निबटने के लिए सहयोग व्यापक बनाने का निर्णय किया है। दोनों देशों ने आतंकवादी नेटवर्क और उनका पालन पोषण करने वाले दशों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए वैश्विक समुदाय का आह्वान किया। दोनों देशों ने व्यापार एवं निवेश, कृषि, जल संसाधन एवं साइबर अपराध सहित विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और गहरा बनाने के बारे में सहमति जतायी। यह सहमति इस्राइली राष्ट्रपति र्यूवेन रिवलिन की पहली भारत यात्रा में उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हुई बातचीत में जतायी गयी। इस्राइली नेता के साथ उनकी बातचीत का सारांश देते हुए मोदी ने एक मीडिया बयान में कहा कि दोनों देशों के लोग निरंतर आतंकवाद एवं उग्रवाद की ताकतों का खतरा झेलते रहे हैं। दोनों ही पक्ष उनसे प्रभावी ढंग से निपटने में सहयोग बढ़ाने को तैयार हो गए हैं विशेषकर साइबर क्षेत्रों जैसे विशिष्ट एवं व्यावहारिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के बारे में। उन्होंने कहा, ‘हम यह स्वीकार करते हैं कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है जो कोई सीमा नहीं जानता तथा जिसका संगठित अपराध के अन्य स्वरूपों से व्यापक संबंध हैं।’
पाकिस्तान की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘खेदजनक है कि इसके जनक और विस्तार करने वाले देशों में से एक भारत के पड़ोस में है।’ उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर सहमत हुए कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकी नेटवर्क और उनका पालन पोषण करने वाले देशों के खिलाफ संकल्प और दृढ़ निश्चय से कार्रवाई करनी चाहिए। इन पर कार्रवाई में विफलता और मौन रहने पर आतंकवादियों को केवल बढ़ावा मिलेगा।’ मोदी ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि रिवलिन की यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में नये स्तंभ बनाने के प्रयासों को महत्वपूर्ण गति मिली है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने बढ़ती रक्षा भागीदारी की क्षमता पर गौर किया और इस जरूरत पर सहमति जतायी कि उत्पादन एवं विनिर्माण भागीदारी के जरिये इसे और व्यापक बनाया जाना चाहिए। भारत इस्राइल के सैन्य साजोसमान का सबसे बड़ा क्रेता है। पिछले कुछ वषों से भारत इस्राइल से विभिन्न हथियार प्रणालियां, प्रक्षेपास्त्र, मानव रहित वायु वाहन खरीदता रहा है किन्तु अधिकतर लेनदेन गुपचुप ढंग होता रहा है।
दोनों पक्षों ने कृषि तथा जल संसाधन प्रबंधन क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच गठजोड़ बढ़ने विशेषकर रक्षा क्षेत्र की ओर चर्चा करते हुए इस्राइल के राष्ट्रपति रिवलिन ने कहा कि उनका देश ‘मेक इन इंडिया और मेक विद इंडिया’ के लिए तैयार है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशकों में इस्राइल का राष्ट्रपति पहली बार भारत आया है। रिवलिन ने इस बात पर बल दिया कि आतंकवाद को कैसे भी सही नहीं ठहराया जा सकता। ‘हम अपने लोगों एवं अपने मूल्यों की रक्षा करने के लिए एकजुट हैं।’ सूखा प्रभावित इलाकों में सूक्ष्म सिंचाई क्षेत्र में इस्राइल की विशेषज्ञता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल प्रबंधन एवं सरंक्षण तथा वैज्ञानिक अनुसंधान में सहयोग को संपर्क के प्राथमिक क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है।
उन्होंने कहा कि इस्राइल में जाने वाले भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या और इसी तरह इस्राइल में यही रुख हमारे द्विपक्षीय भागीदारी में एक महत्वपूर्ण सेतु बन सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा गति ने इस्राइली कंपनियों के लिए कई आशाजनक अवसर खोल दिये हैं। वे भारत की प्रमुख योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया एवं स्मार्ट सिटी के जरिये अपने सम्बन्ध बढ़ा सकते हैं। मोदी ने कहा, ‘भारतीय एवं इस्राइली कंपनियां उच्च प्रौद्योगिकी निर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में मिल कर काम कर सकती हैं। मेक इन इंडिया तथा राष्ट्रपति रिवलिन ने जैसा कि हमारी चर्चा में कहा, मेक विद इंडिया रोजगार पैदा कर सकते हैं तथा दोनों देशों को लाभ पहुंचा सकता है। हमारी भागीदारी से नौकरियां पैदा होंगी और दोनों देशों को लाभ मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि भारत सुधार वाली संरा सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे को स्पष्ट सहयोग देने के लिए इस्राइल का आभारी है।
रवलिन ने अपनी टिप्प्णी में उम्मीद जतायी कि मोदी जल्द इस्राइल की यात्रा करेंगे। इस बात के संकेत हैं कि मोदी 2017 की पहली छमाही में तेल अवीव की यात्र कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध कायम होने के 25 वर्ष में यह यात्रा हो सकती है। भारत ने इस्राइल को 1950 में मान्यता थी किन्तु उसके पूर्ण राजनयिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे। इस्राइली राष्ट्रपति ने अपने भारतीय समकक्ष प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से भी मुलाकात की। राजधानी में सोमवार (14 नवंबर) को आए रिवलिन का मंगलवार (5 नवंबर) दिन में राष्ट्रपति भवन में रस्मी तौर पर स्वागत किया गया। इस्राइली नेता राजघाट भी गए जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।