कतर की राजधानी दोहा पर हुए इजरायल हमले ने पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ा दिया है। मंगलवार को हुए इस हमले का निशाना हमास का नेतृत्व था। हालांकि शीर्ष नेता सुरक्षित बच गए, लेकिन संगठन के पांच सदस्य मारे गए। इनमें गाजा के लिए हमास नेता खलील अल-हय्या का बेटा भी शामिल था। हमले में कतर के आंतरिक सुरक्षा बल का एक जवान भी मारा गया। धमाके के बाद दोहा के आसमान में काला धुआं छा गया और हालात और तनावपूर्ण हो गए।

इस हमले की पुष्टि करते हुए हमास ने कहा कि उसके शीर्ष नेताओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, मगर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की मौत ने संगठन को बड़ा झटका दिया है। कतर ने इसे ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानदंडों का घोर उल्लंघन’’ बताते हुए कड़ी निंदा की।

व्हाइट हाउस ने माना हमला दुर्भाग्यपूर्ण है

अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने भी जानकारी दी कि इजरायल ने हमले से पहले अमेरिका को सूचित कर दिया था और बाद में कतर को भी इस बारे में आगाह किया गया। व्हाइट हाउस ने माना कि यह हमला दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे शांति की कोशिशों को नुकसान पहुंचेगा।

भारत ने इस घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने दोहा में इजरायली हमलों की रिपोर्ट देखी है। इस घटनाक्रम और क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर इसके प्रभाव से हम बेहद चिंतित हैं।’’ मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के रास्ते पर लौटने की अपील करता है, ताकि शांति और स्थिरता को खतरा न हो।

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भारत की चिंता असल में इस वजह से भी अहम है क्योंकि कतर में बड़ी संख्या में भारतीय कामगार रहते हैं और पश्चिम एशिया में अस्थिरता का सीधा असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा पर पड़ सकता है। यही कारण है कि नई दिल्ली ने संतुलित प्रतिक्रिया देते हुए न सिर्फ शांति का आह्वान किया, बल्कि यह भी साफ किया कि कोई भी कदम ऐसा न उठाया जाए जिससे क्षेत्र और असुरक्षित बने।

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गौरतलब है कि सात अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इजरायल-हमास युद्ध ने पहले ही हजारों जिंदगियां लील ली हैं और वार्ता की कोशिशें बार-बार नाकाम हो रही हैं। अब कतर जैसे मध्यस्थ देश पर सीधा हमला होने से हालात और बिगड़ने का खतरा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और सऊदी अरब सहित कई देशों ने इस हमले की आलोचना की है।

भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में साफ किया है कि नई दिल्ली पश्चिम एशिया में स्थिरता और संवाद को प्राथमिकता देती है। लेकिन इस हमले के बाद सवाल यह उठ रहा है कि क्या युद्धविराम की राह और कठिन हो जाएगी या कूटनीति कोई नया रास्ता निकालेगी। (पीटीआई इनपुट के साथ)