भारत ने विकासशील देशों से खासकर अल्प विकसित देशों में विकास के लिए सहायता संबंधी अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने को कहा है और इस बात पर जोर दिया है कि गरीबी उन्मूलन के प्रयास सामाजिक न्याय एवं समता के सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई उप प्रतिनिधि भगवंत बिश्नोई ने कहा, ‘विकासशील देश गरीबी उन्मूलन की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं। ऐसे में खासतौर पर विकसित देशों को अल्प विकसित देशों में विकास के लिए सहायता संबंधी अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करनी चाहिए। प्रभावशाली राष्ट्रीय कदमों के लिए यह आवश्यक है कि इसके लिए समर्थन मुहैया कराने वाला अंतरराष्ट्रीय माहौल हो।’
उन्होंने कहा कि विकास एजंडा 2030 लोगों को विकास के केंद्र में रखता है और इस बात को स्वीकार करता है कि गरीबी उन्मूलन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का अति महत्वपूर्ण उद्देश्य है। उन्होंने सामाजिक विकास पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सत्र में कहा, ‘यह भी आवश्यक है कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हमारे प्रयास सामाजिक न्याय एवं समता के सिद्धांतों पर आधारित हों।’
बिश्नोई ने कहा कि वैश्विक समाज में वैश्वीकरण और तकनीक से काफी लाभ हुआ है लेकिन वैश्विक प्रक्रियाओं में समता के अभाव के कारण देशों के बीच डिजीटल अंतर बढ़ने के साथ ही असमानता बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में हमें इस बात पर जोर देने की आवश्यकता है कि बाजार सुधार और संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रमों में सभी लोगों पर ध्यान दिया जाए।’ बिश्नोई ने किसी को पीछे छोड़े बिना देश के सभी लोगों के कल्याण के लिए स्थाई एवं समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के नरेंद्र मोदी सरकार के दृष्टिकोण के बारे में बताते हुए कहा, ‘ सरकार का सिद्धांत है- सबका साथ, सबका विकास- सरकार ने सभी के लिए शिक्षा, लैंगिंक समानता एवं महिला सशक्तिकरण , कौशल विकास और डिजिटल इंडिया को सबसे अधिक महत्ता दी है।’